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Wednesday, June 16, 2021

भारतीय रेल विकास

भारतीय रेल विकास

भारतीय उपमहा द्वीप में पहली रेलगाड़ी बम्बई से थाणे के बीच चली, जिसने 21 मील की दूरी तय की थी। बम्बई को थाणे, कल्याण और थाल तथा भोर घाटों से जोड़ने का विचार सर्वप्रथम बम्बई गवर्नमेंट के चीफ इंजीनियरमि. जॉर्ज क्लार्क को 1843 में अपनी भांडूप यात्रा के दौरान सूझा था।

औपचारिक उद्घाटन समारोह का आयोजन 16 अप्रैल, 1853 को हुआ, जब लगभग 400 अतिथियों के साथ 14 सवारी डिब्बों वाली रेलगाड़ी सायं 3.30 बजे "एक विशाल जनसमूह की करतल ध्वनि और 21 तोपों की सलामी के बीच बोरीबंदर से रवाना हुई।प्रथम यात्री गाड़ी 15 अगस्त, 1854 को 24 मील की दूरी तय करते हुए हवड़ा से हुगली स्टेशनों के बीच चलाई गई। इस प्रकार, ईस्ट इंडियन रेलवे का पहला सेक्शन यात्री यातायात के लिए चालू हुआ, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिस्से में रेल यातायात की शुरुआत हुई।

दक्षिण में पहली रेल लाइन 1 जुलाई, 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी ने चालू की। इस लाइन पर 63 मील की दूरी तय करते हुए वयासरपांडी और वालाजाह रोड (आर्कोट) के बीच पहली रेलगाड़ी चली। उत्तर में 3 मार्च, 1859 को इलाहाबाद से कानपुर से बीच 119 मील की दूरी तक पहली रेल लाइन बिछाई गई। 19 नवंबर, 1875 को हाथरस रोड और मथुरा कैंटोन्मेंट के बीच पहला सेक्शन यातायात के लिए खोला गया।

इन छोटी-छोटी शुरुआतों के बाद से अब तक पूरे देश में रेलवे लाइनों का एक नेटवर्क विकसित हुआ। सन् 1880 तक भारतीयरेलवेप्रणाली में लगभग 9000 मील लंबा रेलमार्ग उपलब्ध हो चुका था।  भारतीयरेलवे, देश का प्रमुख यातायात संगठन जो एशिया का सबसे बड़ा और एक प्रणाली प्रबंधन के अधीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेलवेनेटवर्कहै।

विभिन्न गेजों और विविध कर्षण प्रणाली के साथ भारतीयरेलवे निम्नलिखित को कवर करती है।         

प्रशासन के कामों में बेहतर कार्यकुशलता लाने, चालू परियोजनाओं के क्रियान्वयन में गति लाने, ग्राहकों की बेहतर संभाल करने, महाप्रबंधकों आदि का कार्यभार कम करने के उद्देश्य से भारतीयरेलवे ने वर्तमान जोनों में क्षेत्रीय स्तर पर रि-एडजस्टमेंट करते हुए सात नए जोन बनाने का विनिश्चय किया है। रेलवे पर सीमित वित्तीय भार के साथ नए जोनों में कम किंतु कुशल और आधुनिक प्रशासकीय ढांचा होगा। दो नए जोन पहले ही काम करना शुरु कर चुके हैं।

राष्ट्रीय रेल विकास योजना

निश्चित समय-सीमा के भीतर महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के उद्देश्य से, रेलवे के विकास के लिए एक गैर-बजटीय निवेश की शुरुआत की गई है।इस स्कीम के तहत अगले पांच वर्षों में 15,000 करोड़ रु. का निवेश करते हुए रेलवेनेटवर्कके नाज़ुक सेक्शनों में क्षमता संबंधी कमियों को दूर किया जाएगा। इन परियोजनाओं में निम्नलिखित को शामिल किया जाएगा :

1.लंबी दूरी की अधिक मेल/एक्सप्रेस गाड़ियां चलाने और 100 कि.मी.प्र.घं. की उच्च गति पर माल गाड़ियां चलाने के लिए गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल को मजबूती प्रदान करना।

2.बंदरगाहों को रेल से जोड़े जाने और मल्टी-मॉडल कॉरीडरों के विकास के लिए को मजबूती प्रदान करना।

3.चार विशाल पुलों का निर्माण– गंगा नदी पर दो, एक ब्रह्मपुत्र नदी पर और एक कोशी नदी पर।

4.समाप्ति की ओर बढ़ रही परियोजनाओं और अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं के काम में तेजी लाना।

संरक्षा और सुरक्षा के लिए नए कदम उठाना :

भारतीय रेलवे द्वारा प्रतिदिन यात्रा करने वाले 13 मिलियन यात्रियों की सुरक्षा प्रादनकरना इस सिस्टम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य है। पिछले वर्षों में, सुरक्षा नियमों के नियमित रूप से पालन के अलावा, नवीनतम प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिए अपनी जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के माध्यम से इस रेलवे नेटवर्क ने अनेक कदम उठाए हैं। आगामी छह वर्षों में रेलवे की पुरानी हो चली परिसंपत्तियों के बकायों के बदलाव के लिए  17,000 करोड़ रु. के समाप्त न हो सकने वाली विशेष रेलवे सुरक्षा निधि (SRSF)  का गठन इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।  अनेक डिस्ट्रेस्ड पुलों, पुराने रेलपथों, सिगनलिंग सिस्टम और अन्य संरक्षा उपस्करों को इस अवधि के दौरान बदला जाएगा। जहां तक संरक्षा के लिए बजट आबंटन का प्रश्न है, संशोधित प्राक्कलन में वर्ष 2001-02 के लिए 1,400 करोड़ रु. और वर्ष 2002-03 के लिए 2,210 करोड़ रु. आबंटित किए गए थे। कोंकण रेलवे द्वारा अपने देश में ही विकसित किए गए भिड़ंत-रोधी उपकरण (ACD) के गहन फील्ड परीक्षण किए जा रहे हैं और क्षेत्रीय रेलों पर लागू किए जाने के बाद इस नवीनतम प्रौद्योगिकी से रेलगाड़ियों के बीच भिड़ंत होने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में रेलों को मदद मिलेगी।

वर्तमान में रेल यात्रियों की सुरक्षा करना रेल सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP)की साझा जिम्मेवारी है। गाड़ियों में यात्रा करने वाले और रेल परिसरों के भीतर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेल सुरक्षा बल को अधिक शक्तियां प्रदत्त करने के उद्देश्य से रेलवे अधिनियम में संशोधन के प्रयास किए जा रहे हैं।महिला यात्रियों की सुरक्षा और सहायता के लिए महिला पुलिस बल तैनात किए गए हैं।

वित्तीय स्थिति में सुधार :

भारतीयरेलवे की वित्तीय स्थिति में धीरे-धीरे किंतु नियमित सुधार हो रहा है। वर्ष 2001-02 के दौरान वित्तीय कार्यनिष्पादन की कुछ उपलब्धियां इस प्रकार हैं : परिचालनिक अनुपात 96.6 प्रतिशत से सुधरकर 98.8 प्रतिशत हुआ, जिससे साधारण कार्यगत खर्चों में 1,487 करोड़ रु. की बचत हुई, मूल्यह्रास आरक्षित निधि (DRF) शेष पिछले वर्ष मार्च के दौरान 78.04 करोड़ रु. की तुलना में बढ़कर इस वर्ष की समान अवधि में 632.99 करोड़ रु. हो गया। इस वर्ष जुलाई माह के दौरान रेलवे ने 5.70 मिलियन टन माल के लदान के साथ मालभाड़ा लदान में एक उपलब्धि हासिल की है। पिछले वित्तीय वर्ष में मालभाड़ा लदान में लक्ष्य से अधिक जाकर कार्य हुआ और 492.31 मिलियन टन का लदान हुआ।

यात्री सुविधाओं में नए रुझान :

अनारक्षित यात्रियों की सुविधा के लिए, इस वर्ष कंप्यूटर आधारित अनारक्षित टिकटिंग की  एक नई पायलट परियोजना की शुरुआत की गई है। इस नेटवर्क द्वारा सेवित प्रतिदिन 13 मिलियन यात्रियों में से लगभग 12 मिलियन अनारक्षित यात्री होते हैं। इस विशाल संख्या की सेवा के लिए दिल्ली क्षेत्र के सभी स्टेशनों पर कंप्यूटर आधारित टिकटिंग प्रणाली की शुरुआत की गई है और आने वाले समय में यह व्यवस्था पूरे देश में लागू की कर दी जाएगी। इसके साथ ही, अनारक्षित टिकटें यात्रा आरंभ करने वाले स्टेशन के अलावा भी अन्य किसी भी स्टेशन से जारी की जा सकती हैं, इससे बुकिंग कार्यालयों तथा स्टेशनों पर भीड़भाड़ कम की जा सकेगी।

भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम :

रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र की मदद से ऑन लाइन टिकटिंग सुविधा की शुरुआत की गई है, इसके लिए irctc.co.in वेबसाइट को खोलना होता है। 245 नए स्थलों पर कंप्यूटरीकृत आरक्षण सुविधा प्रदान की गई हैं। वर्तमान में, पूरे देश में 758 स्थलों पर ये सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो यात्री आरक्षण के कुल कार्यभार का 96 प्रतिशत कार्य संभालती हैं। कंप्यूटरीकृत आरक्षण सुविधा संबंधी जानकारियां जैसे, स्थान उपलब्धता, यात्री की स्थिति, गाड़ी का समय, किन्हीं दो स्टेशनों के बीच गाड़ियां आदि वेब इनेबल हो चुकी हैं।

आटोमेटिड टैलर मशीन (ATMs) के माध्यम से मासिक और त्रैमासिक टिकटें जारी किए जाने की एक पायलट परियोजना इस वर्ष मुंबई में शुरु की गई है और यह बहुत सफल रही है। टिकट खरीद से संबंधित एक अन्य पायलट परियोजना भी शुरु की गई है जिसमें मासिक और त्रैमासिक सीजन टिकटें स्मार्ट कार्ड के माध्यम से भी खरीदी जा सकती हैं। 

अपग्रेड किए गए यात्रियों संबंधी जानकारी और पूछताछ के लिए राष्ट्रीय गाड़ी पूछताछ प्रणाली की शुरुआत की गई है। यह सिस्टम वर्तमान स्थिति के आधार पर ट्रेन रनिंग की स्थिति बताता है, जिसके लिए विभिन्न आउटपुट डिवाइस, जैसे स्टेशनों पर पूछताछ के लिए टर्मिनल और महत्वपूर्ण स्टेशनों पर इंटरएक्टिव वायस रेस्पांस सिस्टम (IVRS) हैं। अब तक 98 स्टेशनों पर यह परियोजना क्रियान्वित की जा चुकी है।

माल परिचालन सूचना प्रणाली (FOIS) रेक प्रबंधन प्रणाली (RMS) के क्रियान्वयन से रेलवे द्वारा माल परिचालन का कंप्यूटरीकरण कर लिया गया है। 235 स्थलों पर ऐसे एफओआईएस टर्मिनल मौजूद हैं।

रेलवे ने अपना स्वयं का इन्ट्रा-नेट 'रेलनेट' स्थापित कर लिया है। यह रेलवे बोर्ड, क्षेत्रीय मुख्यालयों, मंडलीय मुख्यालयों, उत्पादन इकाईयों, प्रशिक्षण केंद्रों आदि के बीच नेटवर्किंग की व्यवस्था करता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा प्रशंसनीय कार्यनिष्पादन रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, विशेषकर इरकॉन और राइट्स ने पिछले तीन वर्षों में प्रशंसनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। इरकॉन इंटरनेशनल ने वर्ष 2001-02 के दौरान 900 करोड़ रु. का रिकार्ड टर्नओवर प्राप्त किया और पिछले कुछ वर्षों में इस प्रतिष्ठित संस्थान की विदेशी मुद्रा आमदनी में छह गुना बढ़ोतरी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, इस समय इरकॉन मलेशिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहा है। अपने स्टर्लिंग ट्रेक रिकार्ड के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज़ कराई है।

राइट्स, रेल मंत्रालय के अधीन एक अन्य प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जिसने पिछले तीन वर्षों के दौरान अपने कार्यनिष्पादन, लाभ और अपने शेयरधारकों को लाभांश देकर नित नई ऊचाईयों को छुआ है।  इसका टर्नओवर वर्ष 1999 में 172 करोड़ रु. से बढ़कर वर्ष 2002 में 283 करोड़ रु. हुआ है। अपने प्रशंसनीय कार्यनिष्पादन के कारण इस वर्ष राइट्स ने ISO-9001 प्रमाणन पत्र प्राप्त किया है। कंपनी ने एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों में रेल इंजनों के निर्यात/पट्टे पर दिए जाने के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है। राइट्स का कार्यक्षेत्र कोलंबिया, यूनाइटेड किंग्डम, ईरान, मलेशिया, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, तंजानिया, युगांडा, इथोपिया, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान सहित पूरे विश्व में फैला हुआ है।

भारतीय रेल वित्त निगम लिमिटेड ने कार्यनिष्पादन के लिए निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर सार्वजनिक उद्यम विभाग से लगातार चौथे वर्ष उत्कृष्ट रेटिंग प्राप्त की है। मानक और खराब रेटिंग के बावजूद, इंटरनेशनल क्रेडजिट रेटिंग एजेंसी ने भी भारतीय रेल वित्त निगम को सर्वश्रेष्ठ रेटिंग प्रदान की है। निगम लाभ में है और लाभांश अदा कर रहा है।

भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम ( IRCTC ) द्वारा दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरू, मुंबई और कोलकाता में इंटरनेटआधारित टिकट बुकिंग शुरु की गई है। पुणे और चेन्नई में ग्राहक अनुकूल वातावरण वाले स्वस्थकर वातानुकूलित फूड-प्लाज़ा खोले गए हैं और 17 और स्थलों पर ऐसे प्लाज़ा खोले जाने के लिए लाइसेंस दिए गए हैं। कुल मिलाकर, इस वित्तीय वर्ष के अंत तक समस्त क्षेत्रीय रेलों पर 50 ऐसे प्लाज़ा खोले जाएंगे। रेलनीर – इस वर्ष दिसंबर से पैकेज्ड पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।

निगम द्वारा इस वर्ष शुरु किए गए वैल्यू एडिड टूर पैकेज प्रोग्राम का पचास हजार से भी अधिक पर्यटकों ने लाभ उठाया है।

कोंकण रेलवे द्वारा अभिनव प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल :

कोंकण रेल निगम (KRC),  भारतीय रेलवे का तकनीकी आश्चर्य है, जिसने कुछेक नई प्रौद्योगिकियों का आविष्कार किया है। कोंकण रेल निगम के भिड़ंत-रोधी उपस्कर (ACD), अधुनातन देशी प्रौद्योगिकी के इस समय गहन फील्ड परीक्षण किए जा रहे हैं, जो रेलगाड़ियों के बीच होने वाली भिड़ंत को रोक पाने में सक्षम है। कोंकण रेलवे द्वारा आविष्कृत स्काई बस मेट्रो एक अन्य अभिनव, सस्ता और पर्यावरण-अनुकूल तीव्र जन परिवहन व्यवस्था है। कोंकण रेलवे द्वारा आविष्कृत सेल्फ स्टेबलाइजिंग ट्रेक (SST), इस समय जिसका परीक्षण किया जा रहा है, निकट भविष्य में सर्वाधिक तेज़ गति की रेलगाड़ी चलाने में रेलवे की मदद करेगा और रेलपथों को अधिक सुरक्षित और अबाधित बनाएगा।

निजी क्षेत्र की भागीदारी :

रेलवे तंत्र के विकास में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों की भागीदारी बढ़ी है। पिपावा पोर्ट को रेलवे की बड़ी लाइन से जोड़े जाने के लिए पिपावा पोर्ट अथारिटी के साथ एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई गई है। रेल मंत्रालय और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, प.बंगाल, तमिलनाडु और झारखंड की राज्य सरकारों के बीच इन राज्यों में रेलवे तंत्र के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

दूरसंचार - नए रुझान :

रेलवे को बेहतर दूरसंचार प्रणालियां देने के लिए, ऑप्टिकल फाइबर आधारित कम्यूनिकेशन सिस्टम अपनाया गया है और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का कार्य इस वर्ष 7,700 रूट किलोमीटर तक बढ़ाया गया है। रेलवे ट्रेकों के साथ-साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल  बिछाने के उद्देश्य से नेशनवाइड ब्राडबैंड मल्टीमीडिया नेटवर्क बनाने के लिए रेल टेल कार्पोरेशन की स्थापना की गई है। यह सिस्टम बेहतर परिचालनिक और यात्री सुविधाएं और रेलवे को अतिरिक्त राजस्व प्रदान कराएगा।

नई प्रौद्योगिकियां :

भारत पहला विकासशील और विश्व का पांचवा ऐसा देश है, जिसने स्वेदश निर्मित अधुनातन; उच्च अश्व शक्ति  के तीन फेज़ वाले विद्युत इंजनों का निर्माण किया है, ऐसा प्रथम इंजन, चित्तरंजन रेल इंजन कारखाने (CLW) से निकला है। स्वेदश में रेल इंजनों के निर्माण के क्षेत्र में चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना निरंतर प्रगति कर रहा है और रेल इंजनों का लागत कम होकर 13.65 करोड़ रु. के स्तर पर आ गई है।

डीजल रेल इंजन कारखाना, वाराणसी द्वारा इस वर्ष अप्रैल में एक अधुनातन 4000 अश्वशक्ति वाले ए.सी./ए.सी. डीजल इंजन का निर्माण किया गया है। ये इंजन 4,800 टन भार वाली मालगाड़ी को 100 कि.मी.प्र.घ. की गति से खींच सकते हैं और एक बारी में बड़े अनुरक्षण कार्य के बिना लगातर 90 दिन तक निरंतर चल सकते हैं।

सम्मान और पुरस्कार

भारतीय रेलवे को खेलकूद, पर्यटन को क्षेत्र और परिचालनिक मामलों में अनेक सम्मान मिल चुके हैं। मानचेस्टर में आयोजित कॉमनवेल्थ खेलों में  भारतीय टीम ने रेलवे की टीम केशानद्रा प्रदर्शन के फलस्वरूप रिकार्ड परफोर्मेंस दिया। जिस महिला हॉकी टीम ने स्वरण पदक जीता था, उसमें केवल एक खिलाड़ी को छोड़कर सभी खिलाड़ी रेलवे की थीं। भारतीय रेलवे के मो.अली कमर ने बाक्सिंग का स्वर्ण पदक जीता और रेलवे के अन्य खिलाड़ियों ने भी कई टीम इवेंट में भारत को मेडल जिताने में मदद की। रेलवे के अनेक खिलाड़ी अर्जुन पुरस्कार और कई प्रमुख खेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेस्को से वर्ल्ड हेरिटेज का दर्ज़ा मिल चुका है।

फेयरी क्वीनविश्व का सबसे पुराना चालू इंजन है, जिसका नाम गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल है, को मार्च, 2000 में इंटरनेशनल पर्यटक ब्यूरो, बर्लिन द्वारा हेरिटेज अवार्ड प्रदान किया गया है। परिचालनिक फ्रंट पर, दिल्ली मेन स्टेशन अपने सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिग सिस्टम के कारण गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल हो चुका है।

सामाजिक दायित्व और गरीब वर्गों का ध्यान

वरिष्ठ नागरिकों, विद्यार्थियों, अशक्त व्यक्तियों आदि को रेलवे रियायतें प्रदान करती है। पिछले तीन वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में नए कदम उठाए गए हैं, जिसमें 65 से 60 वर्ष आयु वर्ग की वरिष्ठ महिला नागरिकों को विशेष रियायत विशेष नेत्रहीन और मानसिक रोगियों को रियायती दरों पर वातानुकूलित श्रेणी में यात्रा की अनुमति दी गई है। दसवीं कक्षा तक के स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को घर से स्कूल के बीच आने-जाने के लिए निःशुल्क मासिक सीजन टिकट दिए जाने की सुविधा भी प्रदान की गई है।

विदेशी रेलों के साथ टाई-अप

भारतीय रेलवे अपने सिस्टम में अधुनातन सुविधाएं लाने के लिए विश्व की रेलों से निरंतर संपर्क बनाए हुए है। इस दिशा मेंविएना में आयोजित इंडो-आस्ट्रिया ज्वाइंट इकोनॉमिक कमीशन के आठवें सत्र के दौरान एकसमझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इससे भारतीय और आस्ट्रियन रेलवे के बीच  इंफ्रास्ट्रक्चर के लेन-देन संबंधी आपसी लाभ के लंबे समन्वय संबंध और गहरे होंगे। भारतीय रेलवे द्वारा नई दिल्ली में यूनियन ऑफ रेलवेज़ के तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व के अनेक उद्योगों और रेलों से संबंधित डेलिगेट शामिल हुए।

भारतीय रेल

भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके १३ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है।

अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है। यह देश की जीवनधारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है।

भारत में रेलों की शुरुआत

भारत में रेलों का आरम्भ 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 कि॰मी॰ की दूरी) की दूरी तय की थी, अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है। इसके 115,000 कि॰मी॰मार्ग की लंबाई पर 7,172 स्‍टेशन फैले हुए हैं।उनके पास 7,910 इंजनों का बेड़ा हैं; 42,441 सवारी सेवाधान, 5,822 अन्‍य कोच यान, 2,22,379 वैगन (31 मार्च 2005 की स्थिति के अनुसार)। भारतीय रेल बहुल गेज प्रणाली है; जिसमें चौडी गेज (1.676 मि मी) मीटर गेज (1.000 मि मी); और पतली गेज (0.762 मि मी. और 610 मि. मी) है। उनकी पटरियों की लंबाई क्रमश: 89,771 कि.मी; 15,684 कि॰मी॰ और 3,350 कि॰मी॰ है। जबकि गेजवार मार्ग की लंबाई क्रमश: 47,749 कि.मी; 12,662 कि॰मी॰ और 3,054 कि॰मी॰ है। कुल चालू पटरियों की लंबाई 84,260 कि॰मी॰ है जिसमें से 67,932 कि॰मी॰ चौडी गेज, 13,271 कि॰मी॰ मीटर गेज और 3,057 कि॰मी॰ पतली गेज है। लगभग मार्ग किलो मीटर का 28 प्रतिशत, चालू पटरी 39 प्रतिशत और 40 प्रतिशत कुल पटरियों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।

मुख्य खण्ड

भारतीय रेल के दो मुख्‍य खंड हैं - भाड़ा/माल वाहन और सवारी। भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्‍व जुटाता है जबकि शेष सवारी यातायात से आता है। भाड़ा खंड के भीतर थोक यातायात का योगदान लगभग 95 प्रतिशत से अधिक कोयले से आता है। वर्ष 2002-03 से सवारी और भाड़ा ढांचा यौक्तिकीकरण करने की प्रक्रिया में वातानुकूलित प्रथम वर्ग का सापेक्ष सूचकांक को 1400 से घटाकर 1150 कर दिया गया है। एसी-2 टायर का सापेक्ष सूचकांक 720 से 650 कर दिया गया है। एसी प्रथम वर्ग के किराए में लगभग 18 प्रतिशत की कटौती की गई है और एसी-2 टायर का 10 प्रतिशत घटाया गया है। 2005-06 में माल यातायात में वस्‍तुओं की संख्‍या 4000 वस्‍तुओं से कम करके 80 मुख्‍य वस्‍तु समूह रखा गया है और अधिक 2006-07 में 27 समूहों में रखा गया है। भाड़ा प्रभारित करने के लिए वर्गों की कुल संख्‍या को घटाकर 59 से 17 कर दिया गया है।

अन्तर्गत उपक्रम

भारत में रेल मंत्रालय, रेल परिवहन के विकास और रखरखाव के लिए नोडल प्राधिकरण है। यह विभन्‍न नीतियों के निर्माण और रेल प्रणाली के कार्य प्रचालन की देख-रेख करने में रत है। भारतीय रेल के कार्यचालन की विभिन्‍न पहलुओं की देखभाल करने के लिए इसने अनेकानेक सरकारी क्षेत्र के उपक्रम स्‍थापित किये हैं :-

·         रेल इंडिया टेक्‍नीकल एवं इकोनॉमिक सर्विसेज़ लिमिटेड (आर आई टी ई एस)

·         इंडियन रेलवे कन्‍स्‍ट्रक्‍शन (आई आर सी ओ एन) अंतरराष्‍ट्रीय लिमिटेड

·         इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर एफ सी)

·         कंटनेर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सी ओ एन सी ओ आर)

·         कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (के आर सी एल)

·         इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्‍म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई आर सी टी आर)

·         रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (रेलटेल)

·         मुंबई रेलवे विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एम आर वी सी लिमिटेड.)

·         रेल विकास निगम लिमिटेड (आर वी एन आई)

 

अनुसंधान, डिज़ाइन और मानक संगठन

आरडीएसओ के अतिरिक्‍त लखनऊ में अनुसंधान और विकास स्‍कंध (आर एंड डी) भारतीय रेल का है। यह तकनीकी मामलों में मंत्रालय के परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है। यह रेल विनिर्माण और डिज़ाइनों से संबद्ध अन्‍य संगठनों को भी परामर्श देता है। 'रेल सूचना प्रणाली के लिए भी केंद्र है (सीआरआईएस)', जिसकी स्‍थापना विभिन्‍न कम्‍प्‍यूटरीकरण परियोजनाओं का खाका तैयार करने और क्रियान्‍वयन करने के लिए की गई है। इनके साथ-साथ छह उत्‍पादन यूनिटें हैं जो रोलिंग स्‍टॉक, पहिए, एक्‍सेल और रेल के अन्‍य सहायक संघटकों के विनिर्माण में रत हैं अर्थात, चितरंजन लोको वर्क्स; डीजल इंजन आधुनिकीकरण कारखाना; डीजल इंजन कारखाना; एकीकृत कोच फैक्‍टरी; रेल कोच फैक्‍टरी; और रेल पहिया फैक्‍टरी।

देश के विकास में

देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्र की त्‍वरित प्रगति ने रेल परिवहन की उच्‍च स्‍तरीय मांग का सृजन किया है, विशेषकर मुख्‍य क्षेत्रकों में जैसे कोयला, लौह और इस्‍पात अयस्‍क, पेट्रोलियम उत्‍पाद और अनिवार्य वस्‍तुएं जैसे खाद्यान्‍न, उर्वरक, सीमेंट, चीनी, नमक, खाद्य तेल आदि। तद्नुसार भारतीय रेल में रेल प्रौद्योगिकी की प्रगति को आत्‍मसात करने के लिए अनेकानेक प्रयास किए हैं और बहुत से रेल उपकरणों जैसे रोलिंग स्‍टॉक के उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर हो गया है। यह ईंधन किफायती नई डिज़ाइन के उच्‍च हॉर्स पावर वाले इंजन, उच्‍च गति के कोच और माल यातायात के लिए आधुनिक बोगियों को कार्य में लगाने की प्रक्रिया कर रहा है। आधुनिक सिग्‍नलिंग जैसे पैनल-इंटर लॉकिंग, रूट रीले इंटर लॉकिंगकेंद्रीकृत यातायात नियंत्रण, स्‍वत: सिग्‍नलिंग और बहु पहलू रंगीन प्रकाश सिग्‍नलिंग की भी शुरूआत की जा रही है।

आधुनिकीकरण

ऐसे नेटवर्क को आधुनिक बनाने, सुदृढ़ करने और इसका विस्‍तार करने के लिए भारत सरकार निजी पूंजी तथा रेल के विभिन्‍न वर्गों में, जैसे पत्‍तन में- पत्‍तन संपर्क के लिए परियोजनाएं, गेज परिवर्तन, दूरस्‍थ/पिछड़े क्षेत्रों को जोड़ने, नई लाइन बिछाने, सुंदरबन परिवहन आदि के लिए राज्‍य निधियन को आ‍कर्षित करना चाहती है। इसके अतिरिक्‍त सरकार ने दिल्‍ली, मुंबई, चैन्नई, बैंगलूर, हैदराबाद और कोलकाता मेट्रोपोलिटन शहरों में रेल आधारित मास रेपिड ट्रांज़िट प्रणाली शुरू की है। परियोजना का लक्ष्‍य, शहरों के यात्रियों के लिए विश्‍वसनीय सुरक्षित एवं प्रदूषण रहित यात्रा मुहैया कराना है। यह परिवहन का सबसे तेज साधन सुनिश्चित करती है, समय की बचत करती एवं दुर्घटना कम करती है। इस परियोजना ने उल्‍लेखनीय प्रगति की है। विशेषकर दिल्‍ली मेट्रो रेल परियोजना का कार्य निष्‍पादन स्‍मरणीय है। दिल्‍ली मेट्रो का पहला चरण पूरी तरह कार्यरत है और यह अपने नेटवर्क का विस्‍तार राजधानी शहर के बाहर कर रहा है।

मूल संरचना विकास

भारत में रेल मूल संरचना के विकास में निजी क्षेत्रों की भागीदारी का धीरे-धीरे विस्‍तार हो रहा है, मान और संभावना दोनों में। उदाहरण के लिए, पीपावाव रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीआरसीएल) रेल परिवहन में पहला सरकारी निजी भागीदारी का मूल संरचना मॉडल है। यह भारतीय रेल और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड की संयुक्‍त उद्यम कंपनी है, जिसकी स्‍थापना 271 कि॰मी॰ लंबी चौडी गेज रेल लाइंस का निर्माण, रखरखाव और संचालन करने के लिए की गई है, यह गुजरात राज्‍य में पीपावाव पत्‍तन को पश्चिमी रेल के सुरेन्‍द्र नगर जंक्‍शन से जोडती है।

रेल बजट

इसके अतिरिक्‍त रेल को बजटीय सहायता वर्षनुवर्ष बढ़ रही है। रेल बजट 2007-08, के अनुसार वर्ष 2006-07 के प्रथम नौ माहों के दौरान रेल ने रिकॉर्ड तोड़ निष्‍पादन दर्शाया है। सवारी लाभ 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़ा है और इसी अवधि में अन्‍य कोचिंग अर्जन 48 प्रतिशत बढ़ा है। सत्रह प्रतिशत की एक ऐतिहासिक वृद्धि माल अर्जन और सकल यातायात अर्जन, दोनों में दर्ज की गई है। सकल यातायात राजस्‍व 63,120 करोड़ रुपए अनुमानित है जो विगत वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है और बजट अनुमान से 5.5 प्रतिशत अधिक है।

महत्वपूर्ण रेल एवं उपलब्धियाँ

·         दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो पतली गेज की एक बहुत पुरानी रेल व्यवस्था है उसे यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है। यह रेल अभी भी डीजल से चलित इंजनों द्वारा खींची जाती है। आजकल यह न्यू जलपाईगुड़ी से सिलीगुड़ी तक चलती है। इस रास्ते में सबसे ऊँचाई पर स्थित स्टेशन घूम है।

·         नीलगिरि पर्वतीय रेल इसे भी विश्व विरासत घोषित किया गया है।

·         पैलेस आन व्हील्स

·         समझौता एक्सप्रेस

·         कोंकण रेलवे

·         डेकन ओडिसी

·         थार एक्सप्रेस

·         शताब्दी एक्सप्रेस

·         राजधानी एक्सप्रेस

·         लाइफ लाईन एक्सप्रेस भारतीय रेल की चलंत अस्पताल सेवा जो दुर्घटनाओं एवं अन्य स्थितियों में प्रयोग की जाती है।

·         रेलक्षेत्र

 

·         प्रशासनिक सुविधा एवं रेलों के परिचालन की सुविधा की दृष्टि से भारतीय रेल को सत्रह क्षेत्र या जोन्स में बाँटा गया है।

क्रमांक

नाम

संक्षेप

स्थापना समय

मुख्यालय

मंडल

1.

उत्तर रेलवे

उरे

14 अप्रैल1952

दिल्ली

अंबालाफिरोजपुरलखनऊमुरादाबाद

2.

पूर्वोत्तर रेलवे

उपूरे

1952

गोरखपुर

इज्जत नगरलखनऊवाराणसी

3.

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे

पूसीरे

1958

गुवाहाटी

अलीपुर द्वारकटिहारलामडिंगरंगियातिनसुकिया

4.

पूर्व रेलवे

पूरे

अप्रैल1952

कोलकाता

हावड़ासियालदहआसनसोलमालदा

5.

दक्षिणपूर्व रेलवे

दपूरे

1955

कोलकाता

आद्राचक्रधरपुरखड़गपुरराँची

6.

दक्षिण मध्य रेलवे

दमरे

2 अक्टूबर1966

सिकंदराबाद

सिकंदराबादहैदराबादगुंटकलगुंटूरनांदेड़विजयवाड़ा

7.

दक्षिण रेलवे

दरे

14 अप्रैल1951

चेन्नई

चेन्नईमदुरैपालघाटतिरुचुरापल्लीत्रिवेंद्रमसलेम (कोयंबतूर)

8.

मध्य रेलवे

मरे

5 नवंबर1951

मुंबई

मुंबईभुसावलपुणेशोलापुरनागपुर

9.

पश्चिम रेलवे

परे

5 नवंबर1951

मुंबई

मुंबई सेंट्रलवदोदरारतलामअहमदाबादराजकोटभावनगर

10.

दक्षिण पश्चिम रेलवे

दपरे

1 अप्रैल2003

हुबली

हुबलीबैंगलोरमैसूर

11.

उत्तर पश्चिम रेलवे

उपरे

1 अक्टूबर2002

जयपुर

जयपुरअजमेरबीकानेरजोधपुर

12.

पश्चिम मध्य रेलवे

पमरे

1 अप्रैल2003

जबलपुर

जबलपुरभोपालकोटा

13.

उत्तर मध्य रेलवे

उमरे

1 अप्रैल2003

इलाहाबाद

इलाहाबादआगराझांसी

14.

दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे

दपूमरे

1 अप्रैल2003

बिलासपुर

बिलासपुररायपुरनागपुर

15.

पूर्व तटीय रेलेवे

पूतरे

1 अप्रैल2003

भुवनेश्वर

खुर्दा रोडसंबलपुरविशाखापत्तनम

16.

पूर्वमध्य रेलवे

पूमरे

1 अक्टूबर2002

हाजीपुर

दानापुरधनबादमुगलसरायसोनपुरसमस्तीपुर

17.

कोंकण रेलवे

केआर

26 जनवरी1998

नवी मुंबई

कोई नहीं

 

विविध

रेल ईंजन निर्माण केंद्र

·         चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन (विद्युत इंजन)

·         डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी (डीजल इंजन)

·         डीजल कम्पोनेट वर्क्स, पटियाला (डीजल इंजन के पूर्जे)

·         टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कम्पनी लिमिटेड, चितरंजन (डीजल इंजन)

·         डीजल लोकोमोटिव कंपनी, जमशेदपुर (डीजल इंजन)

·         भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, भोपाल (डीजल इंजन)

रेल डिब्बे निर्माण केंद्र

·         इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पैराम्बूर (चेन्नई) बी.जी.डिब्बा निर्माण

·         रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला (पंजाब) बी.जी. डिब्बा निर्माण

·         चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन

·         भारत अर्थमूवर्स लिमिटेड बेंगलुरु (कर्नाटक)

·         जेसफ़ एंड कंपनी लिमिटेड, कोलकाता (पं.बंगाल)

·         व्हील एंड एक्सेल, बेंगलुरु (कर्नाटक)

रेलवे प्रशिक्षण केंद्र

·         इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकेनिकल एंड इलिक्ट्रोनिक, इंजीनियरिंग, जमालपुर।

·         रेलवे स्टाफ कालेज, बड़ौदा

·         इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड हेली कम्यूनिकेशन, सिकंदराबाद।

·         इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, पुणे

·         इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, नासिक।

 

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