भूगोल सवाल
1. न्यूयॉर्क शहर को एक बार नई एम्स्टर्डम के रूप में बुलाया गया था
2. महान विक्टोरिया डेजर्ट ऑस्ट्रेलिया में है
3. जिस ग्रह को अपनी धुरी पर घुमाने के लिए सबसे अधिक समय लगता है वह शुक्र है
4. भूकंप की उत्पत्ति का स्थान फोकस है
5. सिसिली भूमध्य सागर में सबसे बड़ा द्वीप है
6. आकाशगंगा पृथ्वी की आकाशगंगा का नाम है।
7. सबसे लंबी नदी नील नदी है
8. समुद्र के किनारे जंगलों के समृद्ध स्रोत हैं
9. बौद्ध स्थल ताबो मठ हिमाचल प्रदेश में है।
10. 0 ° अक्षांश सबसे लंबा अक्षांश है।
11. उत्तर सागर दुनिया का सबसे बड़ा मछली पकड़ने का मैदान है।
12. सुएज नहर लाल और भूमध्य सागरों को जोड़ता है
13. नाइट्रोजन गैस की मात्रा पृथ्वी के वायुमंडल में उच्चतम प्रतिशत में मौजूद है।
14. बेल्जियम को "कॉकपिट ऑफ़ यूरोप" भी कहा जाता है।
15. किस दिशा में पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है? पश्चिम पूर्व।
16. मृत समुद्र में दुनिया का सबसे बड़ा खारा पानी है।
17. जो देश बूट की तरह आकृति रखता है वह इटली है
18. मैप्स और ग्लोब्स पर आरेखित रेखाएँ हैं भौगोलिक ग्रिड।
19. तिब्बती पठार दुनिया में सबसे लंबे और उच्चतम पठार है।
20. चंद्रमा की सतह का लगभग 5 9% पृथ्वी से दिखाई देता है।
21. विश्व भूगोल प्रश्न और उत्तर - सामान्य ज्ञान भूगोल प्रश्न
22. 21 जून उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे लंबा दिन है।
23. उत्तरी गोलार्ध में सबसे कम दिन 21 दिसंबर है।
24. रोम को 'अनन्त शहर' भी कहा जाता है।
25. ग्रीनविच समय और भारतीय मानक समय के बीच समय का अंतर 5 और साढ़े घंटे है।
26. कंपाला युगांडा की राजधानी है
27. अरविल्यास सबसे पुराना पर्वत है
28. उत्तर अटलांटिक रूट सबसे व्यस्त समुद्र मार्ग है
29. यू.एस.ए. का मुख्य कृषि उत्पाद मक्का है
30. ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में कम से कम जमीन का मैदान है
31. तालक पृथ्वी पर सबसे नरम खनिज है।
32. दुनिया में अग्रणी अंडा उत्पादक चीन है।
33. व्यावसायिक रूप से काटा जाने वाले प्रजातियों के लिए मूल्यवान आवास महंगे हैं।
34. दुनिया का सबसे अधिक निर्बाध झरना एन्जिल फॉल्स वेनेजुएला में है
35. आयनोफ़ेयर के बाद तापमान तेजी से बढ़ता है
36. ग्रीनलैंड दुनिया में सबसे बड़ा द्वीप है।
37. झील सुपीरियर दुनिया की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है।
38. प्रसिद्ध वीरपक्ष मंदिर हम्पी में है
39. प्रशांत और अटलांटिक महासागरों की कनेक्टिंग बिंदु पनामा नहर है
40. मारियाना ट्रेंच धरती पर सबसे बड़ा बिंदु है।
41. वेलिंग्टन शहर विश्व में सबसे ज्यादा शहर है।
42. पृथ्वी से सितारों की दूरी के माप की इकाई प्रकाश वर्ष
43. अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका ऐसे महाद्वीप हैं जो एक दूसरे की दर्पण छवि बनाते हैं।
44. सबसे बड़ा हिमनद महाद्वीपीय ग्लेशियर हैं
45. पामर गाँठ को दुनिया की रूफ कहा जाता है
46. चीन के पूर्वोत्तर भाग का नाम मांचुरिया है
47. हैली धूमकेतु का नाम है जो हर 76 वर्षों में प्रकट होता है।
48. झील बैकल से बहती हुई एकमात्र नदी अंगारा नदी है
49. अफ्रीका को डार्क कॉन्टिनेंट के रूप में जाना जाता है।
50. एशिया पृथ्वी का सबसे बड़ा महाद्वीप है
51. दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप अफ्रीका है
52. माउंट किलिमंजारो अफ्रीका में सर्वोच्च शिखर है
53. तूफान में सबसे अधिक वायु वेग है
54. 'उल्लास की दीवार' यरूशलेम शहर में है
55. पश्चिम बंगाल कागज उत्पादन में अग्रणी राज्य है।
56. एमा एक सक्रिय ज्वालामुखी का एक उदाहरण है
57. भूकंप के दौरान आने वाली लहर को भूकंपीय लहर कहा जाता है
58. बैरोमीटर पढ़ने में अचानक गिरावट दिखायी जाती है जब एक शांत मौसम होता है।
59. फिनलैंड 'हजार झीलों की भूमि' के रूप में जाना जाता है।
60. एक भूमि जो तीन तरफ पानी से घिरा है प्रायद्वीप है।
61. वायुमंडल की स्ट्रैटोस्फियर परत एक लगभग समान क्षैतिज तापमान बनाए रखती है।
62. भूगोल पर सामान्य ज्ञान तथ्य - अक्सर पूछे जाने वाले विश्व भूगोल प्रश्न और उत्तर
63. दुनिया का सबसे बड़ा मछली निर्यात क्षेत्र उत्तर-पूर्व अटलांटिक क्षेत्र है
64. टाइगरिस नदी बगदाद शहर से गुजरती है।
65. सर्किल पैसिफिक बेल्ट को 'रिंग ऑफ फायर' कहा जाता है
66. लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा शहर मेक्सिको शहर है।
67. अरुणाचल प्रदेश में जनसंख्या का सबसे घनत्व है
68. किस देश के माध्यम से भूमध्य रेखा और मकर राशि के दोनों पारित हो जाते हैं? ब्राजील।
69. उत्तरी कोरिया और दक्षिण कोरिया 'ब्रिज ऑफ़ नो रिटर्न' से जुड़ गए हैं
70. सीलोन श्रीलंका का पूर्व नाम है
71. चक्रीय वर्षा काफी हद तक भारत में होती है
72. दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक 'अंगकोर वाट' कंबोडिया में स्थित है।
73. ग्रीष्म में ट्रोफोस्फीयर की मोटाई बढ़ जाती है।
74. भारत में कपास की खेती के लिए खेती सबसे उपयुक्त है।
75. प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ का मुख्यालय जिनेवा में है
76. पृथ्वी पर शिलॉस्ट महासागर आर्कटिक महासागर है।
77. Prairies कनाडा में घास के मैदानों का नाम है
78. मिसिसिपी नदी गिरती है? मेक्सिको की खाड़ी।
79. "सिएरा नेवादा" अमेरिका में एक पर्वत का नाम है।
80. ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया के समानांतर है।
81. दक्षिणी महासागर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा महासागर है
82. भौगोलिक क्षेत्र से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है।
83. भूकंप के कारण सुनामी उत्पन्न होती है
84. आल्प्स पर्वत फ्रांस से इटली और स्विटजरलैंड को अलग करता है
85. एस्किमो कनाडा और अलास्का में रहते हैं
86. एशिया एकमात्र महाद्वीप है जहां बाघ जंगली में पाए जाते हैं।
87. मिंडानाओ द्वीप प्रशांत महासागर में है
88. समुद्र जो तीन महाद्वीपों की सीमाओं को छूता है वह भूमध्य सागर है।
89. जब हम वायुमंडल में उच्च जाते हैं, तो हवा दृश्यमान हो जाती है
90. हिमालय पर्वत प्रणाली मोड़ पहाड़ों के अंतर्गत आता है।
91. मिस्र को गिफ्ट ऑफ़ नाइल के रूप में जाना जाता है
92. हाल ही में, कालका-शिमला रेलवे को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
93. भूगोल में, गल्फ स्ट्रीम एक गर्म महासागर वर्तमान के लिए संदर्भित करता है।
94. धरती पर सर्वोच्च पर्वत अर्थात् माउंट एवरेस्ट, के 2, कंचनजंगा अधिक हिमालय में हैं।
95. समुद्र के नीचे एक सुरंग से जुड़े दोनों देश इंग्लैंड और फ्रांस हैं।
96. अफ्रीका किसी अन्य महाद्वीप की तुलना में अधिक देशों में है
97. किसी स्थान की अक्षांश भूमध्य रेखा के विमान के सापेक्ष अपनी कोणीय स्थिति को व्यक्त करता है।
98. अंटार्कटिका बर्फ के साथ पूरी तरह से एकमात्र महाद्वीप है
99. बैलिक झील दुनिया की सबसे गहरी झील है।
100. हॉलैंड पृथ्वी का 'कम देश' है
102. ऑस्ट्रेलिया के द्वीप राज्य तस्मानिया है
103. सिक्किम के माध्यम से गुजरती अक्षांश भी राजस्थान से गुजरती हैं।
****************************************************************************
1. स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनाई पड़ने के लिए ध्वनि का परावर्तन करने वाली तथा को श्रोता से कम से कम 16.5 मीटर की दूरी पर होना चाहिए |
2. तरंग गति में उर्जा का स्थानांतरण होना है, ना कि माध्यम के कणों का |
3. ऊष्मा दिए जाने पर पदार्थ की गतिज ऊर्जा बढ़ती है | अतः पदार्थ में समाई उसमा की पहचान उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा से होती है|
4. गतिज ऊर्जा (यांत्रिक ऊर्जा) की कीमत पर ऊष्मा उत्पन्न होती है | घर्षण से उत्पन्न ऊर्जा इसका उदाहरण है|
5. उष्मागतिकी के सून्यावा नियम के अनुसार किसी पिंड का ताप पिंड की वह अवस्था है, जो निर्धारित करता है कि पिंड किसी दूसरे पिंड के साथ तापीय संतुलन में है या नहीं |
6. गर्म होने पर ठोस की लंबाई में जो प्रसार होता है उसे रेखीय प्रसार कहते हैं |
7. ठोस की सतह के प्रकार की क्षेत्रीय प्रसार और आयतन के प्रसार को आयतन प्रसार कहते हैं |
8. तरल पदार्थों के मात्र आयतन प्रसार होते हैं |
9. ऊष्मा के प्रभाव में किसी पदार्थ का जो प्रसार होता है वह पदार्थ की प्रक्रिया पर निर्भर करता है |
10. ताप के प्रति डिग्री परिवर्तन के कारण उसकी लंबाई में भिन्नात्मक परिवर्तन को ठोस पदार्थ का रेखीय प्रसार गुणांक कहते हैं यह ठोस के द्रव की प्रक्रिया पर निर्भर करता है |
11. रेखीय प्रसार गुणांक की तरह ही क्षेत्रीय प्रसार गुणांक और आयतन प्रसार गुणांक भी परिभाषित होता है | क्षेत्रीय प्रसार गुणांक =2× रेखीय प्रसार गुणांक और आयतन प्रसार गुणांक =3× रेखीय प्रसार गुणांक
12. ठोस के रेखीय प्रसार के प्रभाव से रेल की पटरियाँ मुड जा सकती हैं और तरल पदार्थों को ले जाने वाली पाइप टूट जा सकती है |
13. थर्मामीटर में पारा, बेंजीन जैसे पदार्थ से अधिक उपयोगी होता है |
14. जल का प्रसार 0०C से 4०C के बीच कुछ असाधारण-सा इस पदार्थ में होता है कि ताप के इस अंतराल में ताप के घटने पर उसका आयतन घटने के बदले बढ़ता है |
15. किसी दिए गए द्रव्यमान की गैस का ताप यदि नियत रहे तो गैस का दाब (P) उसके आयतन (V) का व्युत्क्रमानुपाती होता है; यह बॉयल का नियम है |
16. पिंड को दी गई ऊष्मा का परिवर्तन और उस ऊष्मा के कारण उनसे ताप में वृद्धि के अनुपात को उस पिंड की उष्मा धारिता कहते हैं |
17. जिस ताप पर ठोस पदार्थ ऊष्मा पाकर गलता है और द्रव में परिवर्तित होता है,उस ताप को ठोस का गलनांक कहते हैं |
18. जिस ताप पर द्रव पदार्थ ऊष्मा पाकर उबलता है और द्रव से वाष्प में बदलता है, उस ताप को द्रव का क्वथनांक कहते हैं |
19. ठोस पदार्थ के एकांक द्रव्यमान को गलनांक पर ठोस से द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा को ठोस के गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं |
20. द्रव के एकांक द्रव्यमान को क्वथनांक पर द्रव से वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा को द्रव के क्वथन या वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं |
21. जिस ताप पर द्रव पदार्थ ऊष्मा खोकर जमता है, उसे द्रव का हिमांक कहते हैं |
22. किसी पदार्थ के द्रवण की गुप्त ऊष्मा बराबर होती है क्वथन की गुप्त ऊष्मा के |
23. किसी धातु के गलनांक से उसके मिश्र धातु का गलनांक बहुत ही कम होता है |
24. किसी ताप पर वायु के प्रति घन मीटर में उपस्थित जलवाष्प का द्रव्यमान और उस ताप पर वायु की अधिकतम आद्रता के लिए प्रति घन मीटर में जलवाष्प के आवश्यक द्रव्यमान के अनुपात को वायु की आपेक्षिक आद्रता कहते हैं |
25. उस्मा इंजन ऐसी युक्त है जो ऊष्मा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है|
26. ऊष्मा इंजन दो प्रकार के होते हैं-बहिर्दहन इंजन और आंतरिक दहन इंजन|
27. बहिर्दहन इंजन का कार्यकारी पदार्थ जल का भाप होता है जिसे इंजन के बाहर कोयला को जलाकर तैयार किया जाता है और तब उसे इंजन के भीतर भेजा जाता है| भाप इंजन बहिर्दहन इंजन है|
28. आंतरिक दहन इंजनों में कार्यकारी पदार्थ हवा होती है | इंजन के भीतर ही ईंधन( जलवान) को जलाकर कार्यकारी पदार्थ के ताप को बढ़ाया अपना वीडियो मेरा जाता है|
29. लेंस की फोकस दूरी या फोकसांतर( फोकल लेंग्थ) प्रकाशीय केंद्र एव मुख्य फोकस के बीच की दूरी है| लेंस के दो मुख्य फोकस होते हैं|
30. नेत्र -लेंस द्वारा किसी वस्तु का उल्टा एवं वास्तविक प्रतिबिंब रेटिना( दृष्टिपटल) पर बनता है जो दृक तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक संचारित होता है|
31.
32. रेटिना बहुत ही प्रकाश सुग्राही होता है और यह दो प्रकार के तंत्रिका तंतुओं छड़ तथा शंकु से भरा रहता है?
33. आंख( नेत्र) कि वह क्षमता जिस कारण नेत्र लेंस की आकृति (अर्थात फोकस दूरी) स्वतं नियंत्रित होती रहती है नेत्र की समंजन क्षमता(power of accommodation) कही जाती है?
34. उस निकटतम बिंदु को जहां तक आंख नेत्र साफ-साफ देख सकती है ; निकट बिंदु(near point) कहां जाता है| सामान्य आंख नेत्र के लिए निकट बिंदु की दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए|
35. उस दूरस्थ बिंदु को जहां तक आंख नेत्र साफ-साफ देख सकती है दूर बिंदु(far point) कहां जाता है| सामान्य आंख नेत्र के लिए दूर बिंदु अनंत(infinity) पर होना चाहिए|
36. निकट दृष्टि नेत्र- गोलक के लंबा हो जाने के कारण होता है और बहुत दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र लेंस रेटिना (दृष्टिपटल)के आगे बनता है| इस का सुधार( उपचार) अवतल लेंस द्वारा होता है|
37. दीर्घ दृष्ट नेत्र गोलक के छोटा हो जाने के कारण होता है और सामान्य निकट बिंदु( 25cm की दूरी )पर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब नेत्र लेंस रेटिना( दृष्टिपटल) के पीछे बंद बनाती है| इस देश का सुधार (उपचार) उत्तल लेंस द्वारा होता है|
38. फोटोग्राफी कैमरे द्वारा फिल्म पर किसी वस्तु का स्थायी प्रतिबिंब बनाया जाता है एक|
39. गोलीय दर्पण उस दर्पण को कहते हैं जिसकी परावर्तक सतह किसी खोखले गोले का एक भाग होती है|
40. गोलीय दर्पण की सतह पर उसके मध्य बिंदु को दर्पण ध्रुव कहते हैं|
41. गोलीय दर्पण के धुव्र और वक्रता केंद्र को मिलाने वाली रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते हैं|
42. गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष के सामांतर और निकट आपतित सभी किरणों दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष पर जिस बिंदु पर अभिसारित( converge )होती है या जिस बिंदु से अपसारित प्रतीत होती है वह बिंदु गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस कहा जाता है |
43. गोलीय दर्पण के दुव्र तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी या फोकसान्तर कहते है |इसे f से दर्शाया जाता है |
44. गोलीय दर्पण के ध्रुव से वार्कता केंद्र के बीच की दूरी वक्रता त्रिज्या कहते है |इसे’ r’ से दर्शाया जाता है|
45. !गोलीय दर्पण की फोकस दूरी उसकी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है अर्थात f=r/2
46. अवतल दर्पण से वास्तविक और काल्पनिक दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बन सकते हैं| वास्तविक प्रतिबिंब बड़ा या छोटा हो सकता है किंतु काल्पनिक प्रतिबिंब बड़ा होता है|
47. उत्तल दर्पण से हमेशा छोटा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है|
48. प्रतिबिंब की ऊंचाई और वस्तु की ऊंचाई या साइज के अनुपात को आवर्धन कहते हैं|
49. गति के लिए मुक्त धनावेश उच्च विभव से निम्न विभव की ओर जाता है|
50. पृथ्वी का विभव शून्य माना जाता है| पृथ्वी की अपेक्षा जिस वस्तु का विभव अधिक होता है उसका विभव धनात्मक और जिसका कम होता है उसका विभव ऋणात्मक माना जाता है|
51. किसी पदार्थ की विशिष्ट प्रतिरोध उस पदार्थ के एकांक अनुप्रस्थ परिच्छेद वाले एकांक लंबाई के खंड का प्रतिरोध होता है| विशिष्ट प्रतिरोध के प्रतिलोम को विशिष्ट चालकता कहते हैं|
52. प्रति एकांक तापवृद्धि से विद्युत के चालक का प्रतिरोध में जो आंशिक वृद्धि होती है उसे उस चालक पदार्थ का प्रतिरोध- ताप गुणांक कहते हैं|
53. जिन पदार्थों की विशिष्ट चालकता बहुत अधिक होती है उन्हें चालक कहा जाता है| जिनकी विशिष्ट चालकता बहुत ही कम होती है उन्हें अचानक कहा जाता है|
54. अर्ध्द्चालक पदार्थ की विशिष्ट चालकता चालक की विशिष्ट चालकता से कम और अचालक की विशिष्ट चालकता से अधिक होती है|
55. अतिचालक पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध एक विशेष ताप (अतिचालाकीय कला संक्रमण ताप) के बीच शून्य हो जाता है|
56. श्रेणीक्रम में सामूहिक प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध इन प्रतिरोधक के योग के बराबर होता है समांतर क्रम में सामूहिक प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का प्रतिलोम इन प्रतिरोधों के प्रतिलोमो के योग के बराबर होता है|
57. सरल सेल बाह्य परिपथ में तांबे की प्लेट की ओर से जस्ते की प्लेट की और धारा भेजता है|
58. सरल सेल से 1.08v का(वि .वा .ब ) प्राप्त होता है जो सेल से धारा लिए जाने के कर्म में ध्रुवण तथा स्थानीय क्रिया के कारण काफी घट जाता है|
59. पदार्थों का आवेशन उनसे इलेक्ट्रॉनों को निकालना या उनमें इलेक्ट्रॉनों को भेजना है|
60. ठोस चालको मैं विद्युत चालन के लिए मुक्त इलेक्ट्रान उपलब्ध होते हैं| द्रव और घोलो में अणुओं के आयनों में विघटन से विद्युत चालन संभव होता है| गैसों में अणु के आयनों मै विघटन से विद्युत चालन संभव होता है| गैसों में अरबों के धनायन तथा ऋणअयनो में विखंडित होने के कारण विद्युत विसर्जन होता है|
61. पदार्थों में आवेश प्रोटानो हो तथा इलेक्ट्रॉनों के रूप में उनके परमाणुओं में समाए रहता है |
62. यदि धारावाही चालक को दाएं हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़े की अंगूठा धारा की दिशा को अंगित करता हो तो अंगुलियां चुंबकीय क्षेत्र की बल रेखाओं की दिशा को व्यक्त करती है|
63. सीधी धारा के कारण बल रेखाएं धारा के गिर्द सम केंद्रीय वृत होती है| वृत्तीय धारा के केंद्र पर बल रेखा वृत के समतल पर अभिलंब होती है| परिनालिका की बल रेखाएं छड़ चुंबक की बल रेखाओं जैसी होती है|
64. परिनालिका में रखी नरम लोहे की छड़( कोर्ड ) परिनालिका से धारा प्रवाहित करने पर विधुत-चुम्बक बन जाती है |
65. चुंबक का धारा पर प्रभाव धारावाही चालक पर बल लगना होता है| इस बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से प्राप्त होती है|
66. विधुत मोटर का कार्य सिद्धांत है धारावाही चालक की कुंडली पर चुंबकीय क्षेत्र में बल युग्म का उत्पन्न होगा |
67. जब किसी कुंडली के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता या घटता है तब उसमें बिधुत-वाहक बल प्रेरित होता हैं| एसी घटना को विधुत-चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं |
68. किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान कुंडली से होकर चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है|
69. प्रेरित धारा की दिशा दक्षिण- हस्त नियम से प्राप्त होती है|
70. किसी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली के घूर्णन से कुंडली में प्रत्यावर्ती वि .वा .ब प्रेरित होता है|
71. प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं|
72. दिष्ट धारा दो प्रकार के होते हैं स्थायी दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती दिष्ट धारा|
73. p- अर्ध्द्चालक में छिद्रों का और n अर्ध्द्चालक मैं इलेक्ट्रॉनों का बाहुल्य होता है|
74. अर्धचालक (p-n) डायोड का उपयोग दिष्टकारी के रूप में इसलिए होता है कि अग-अभिनत पर ही p-n संजय से होकर धारा प्रवाहित होती है
75. पश्च-अभिनति पर अर्धचालक डायोड की धारा नगण्य होती है |
76. धारा के स्रोतों का चयन उसके पारस्परिक लाभ और हानि पर निर्भर करता है |
77. प्रत्यावर्ती धारा स्त्रोत सर्वाधिक उपयोगी धारा स्त्रोत है |
78. औद्योगिक संस्थानों के लिए सत्य उच्च वोल्टता पर उपलब्ध कराई जाती है |
79. घरेलू उपयोगों के लिए विद्युत 220 वोल्ट पर उपलब्ध होती है |
80. घरों की वायरिंग पावर तथा डोमेस्टिक, दो प्रकार की होती है- पहली 15 A की और दूसरी 5 A की धारा के लिए |
81. वायरिंग को पावर और डोमेस्टिक परिपथों में बांटने से ऊर्जा की हानि कम होती है |
82. सुरक्षा की दृष्टि से वायरिंग स्कीम में अर्थ-लाइन का भी होना आवश्यक है |
83. विद्युत परिपथ के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही से घातक झटके लग सकते हैं और मकानों में भयंकर आग भीग सकती है |
84. पांचवी शताब्दी में भारतीय खगोलज्ञ आर्यभट्ट ने सुझाया की भूस्थिरता एक भ्रांति है; वास्तव में, पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है जिसके कारण सूर्य और तारे उदित और अस्त होते हुए मालूम पड़ते हैं |
85. पोलैंड के पादरी कोपरनिकस ने सूर्य केंद्रीय निकाय पेश किया| इसके अनुसार सूर्य केंद्र पर है और उसके चारों ओर ग्रह आदि परिक्रमा करते हैं |
86. नाभिकीय विखंडन में कोई भारी नाभिक लगभग बराबर ब्रह्मांड के दो नाभिकों में टूट जाता है |
87. आइंस्टीन ने 1905 ई० मैं आपेक्षिकता का विशिष्ट सिद्धांत निकाला जिसके अनुसार द्रव्यमान और ऊर्जा तुल्य है और E=mc2. इस संबंध के उपयोग से यह दिखाया जा सकता है कि 931 MeV उर्जा को 1u का द्रव्यमान है |
88. सूर्य, वायु, पानी आदि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत हैं; जबकि कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं |
89. नाभिकीय संलयन में अभिकारक के कुल द्रव्यमान से उत्पन्न नाभिकों का कुल द्रव्यमान कम होता है | यह दर्द सामान्यतः हल्के नाभिकों में पूरी होती है |
90. पैरासूट के पृष्ठ का क्षेत्रफल ज्यादा है अतः वह का प्रतिरोध अधिक है |
91. कारों के हेडलैंप में प्रयुक्त दर्पण परवलयिक अवतल प्रकार के होते हैं |
92. तरलता वास्तविक गहराई से कम गहराई दिखाई देता है| इसका कारण है अपवर्तन
93. प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में दिष्टकारी द्वारा बदला जाता है |
94. निर्वात में ध्वनि नहीं गुजर सकती
95. पारा तापमापी 212 डिग्री से० ताप तक मापन में प्रयुक्त होता हैं |
96. कमरे मे रखे हुए एक चालू रेफ्रीजरेटर के दरवाजे खुले छोड़ दिए जाये तो कमरे का ताप बढ़ता है |
97. जल का क्वथनांक जल की खुली सतह के ऊपर के दाब पर निर्भर करता है |
98. पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तब होता है , जब प्रकाश हीरे से कांच में जाता है |
99. यदि लेंस द्वारा देखने पर अक्षरों का आकर छोटा दिखाई देता है तो वह लेंस अवतल लेन्स है |
100. रंग का अपवर्तन सबसे अधिक होता है |
101. प्रिज्म द्वारा बैगनी रंग का विचलन अधिकतम होता है |
*******************************************************************
भूगोल से संबंधित सामान्य जानकारी
भूगोल धरातल पर स्थित विभिन्न चीजों के बीच आंतरिक संबधों का अध्ययन करता है. इसके अध्ययन के कई प्रकार हैं. जैसे- तंत्र दृष्टिकोण, प्रादेशिक दृष्टिकोण, वर्णात्मक दृष्टिकोण व विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण:
1. तंत्र दृष्टिकोण: विश्व स्तर पर अलग-अलग वर्गों का समस्त घटक तत्वों को एक साथ भौगोलिक ज्ञान के आधार पर संगठित करना तंत्र दृष्टिकोण कहलाता है।
2. प्रादेशिक दृष्टिकोण: धरातल पर विविध एकरूपता वाले चीजों का पहचान कर उनके बीच आतंरिक संबंध को निर्धारण करना।यानि की किसी खास क्षेत्र का सामान्य गुण अपने पास के क्षेत्र से हमेशा अलग होता है।
3. वर्णात्मक दृष्टिकोण: इसके अंतर्गत किसी प्रदेश की भौगोलिक विशेषता व जनसंख्या वितरण का वर्णन किया जाता है। विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण: कोई क्षेत्र व उसमे समाहित चीजों का गुण अन्य क्षेत्रों से भिन्न क्यों होता है, इसका अध्ययन करता है।
भौतिक भूगोल से संबंधित महत्वपूर्ण संरचना
4. द्वीप: किसी भूखंड का वह हिस्सा जो चारों तरफ पानी से घिरा हो 'द्वीप' कहलाता है। यह सागर,झील व नदी भी हो सकता है। सागर में किसी स्थलखंड के चारों ओर प्रवाल द्वारा निर्मित आकृत 'एटॉल'कहलाता है।इस तरह अन्य लघुद्वीप स्केरिज आदि का भी निर्माण होता है। नदी के मध्य भाग में निर्मित द्वीप को 'इयोट' कहा जाता है। एक सामान भौगोलिक विशेषता वाले द्वीप समूहों को 'आर्चिपिलागो' कहा जाता है,जो एक इतालवी शब्द से बना है। जैसे-जापान द्वीपसमूह, कनारी द्वीपसमूह, अंदमान निकोबार द्वीपसमूह, पश्चिमी द्वीपसमूह तथा इंडोनेशियन द्वीपसमूह, जो विश्व का सबसे बड़ा द्वीप समूह है। जबकि ग्रीनलैंड विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है जो 22 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
5. जलसन्धि: इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से किसी स्थलसंधि के टूटने से,निमज्जन से,सागरतल के उत्थान या अपरदन क्रियाओ के द्वारा होता है। यह एक संकीर्ण नौगम्य भाग होता है जो बड़े सागरों को जोड़ने का काम करता है। सामान्यतः यह चैनल के रूप में भी इंगित होता है जो दो बड़े भूखंड के बीच नौ परिवहन होता है। लेकिन छिछला ,संकीर्ण व कई स्थानों पर छोटे-छोटे द्वीप स्थित होने के कारण बड़े पैमाने पर नौ परिवहन उन जलसंधियों में नहीं हो पता है। जैसे-जिब्राल्टर जलसन्धि(अटलांटिक व भूमध्य सागर के बीच) तथा बेरिंग जलसन्धि (आर्कटिक व प्रशांत महासागर के बीच) इसका एक अच्छा उदाहरण है।
विश्व की प्रसिद्ध स्थानीय हवाओं की सूची
6. खाड़ी: किसी विशाल भूखंड में सागर का घुसा हुआ वह भाग जो तीन ओर से स्थल से घिरा हो यानी वह निवेशिक जिसके तीन ओर वृहद तट रेखा पायी जाती हो खाड़ी कहलाता है। खाड़ी के किनारो पर कई बंदरगाह स्थित होते है जो व्यापर की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते है। इसका निर्माण धरातल के ऊपरी भाग के विभंजन या तटीय भूमि पर सागर का अतिक्रमण करने से होता है।सामान्यतः गहरी खाड़ी को'गल्फ' व बड़े आकर वाले को 'बे' कहा जाता है।
7. अंतरीप: किसी मुख्य भूखंड का वह भूमि जो सागर,नदी या झील में अंदर तक घुसा हो,तथा तीन ओर पानी से घिरा हो अंतरीप कहलाता है।जैसे-कप ऑफ गुड होप जो दक्षिण अफ्रीका के विशाल भूखंड का हिस्सा है।केप हेट रस जो यू एस ए के कैरोलिना राज्य में स्थित है।अधिकांस भूगोलवेत्ता का मनना है कि अंतरीप प्रायद्वीप से छोटा होता है।अंतरीप नुकीला होता है जो विशाल जलराशि में समाविष्ट होता है।जबकि प्रायद्वीप बहुत बड़ा होता है, जो मुख्य भूमि से ज्यादा जुड़ा होता है।
8. स्थलाकृति: इसमे पृथ्वी व अन्य ग्रहों के धरातलीय आकृति का अध्ययन किया जाता है। मूल रूप से स्थलाकृति मानचित्रों पर धरातल की प्राकृतिक विशेषता का अध्ययन किया जाता है।
9. उच्चावच: भूगोल में उच्चावच का अभिप्राय है धरातल पर की उच्चतम व निम्नतम आकृति वाले क्षेत्र। जैसे:-पर्वत,पहाड़,पठार, मैदान व घाटी।
10. पूर्ण स्थान: धरातल पर का वह स्थान जिसका निर्धारण अक्षांस व देशान्तर निर्देशांक द्वारा निर्धारित होता हो।
11. जलवृत: भूमिगत जलकूप जहाँ जलयुक्त शैल परत से जल रिसकर जमा होता जलवृत कहलाता है।
12. द्वीप समूह: एक समान विशेषता वाले द्वीपों का समूह जो माला के रूप में आबद्ध हो उसे द्वीप समूह कहते हैं.
13. प्रवाल वलय: प्रवालों से निर्मित वह भित्ति जो घोड़े के नाल के समान या मुद्रिका के जैसी हो जिसका विकास किसी पिंड के चारो ओर होता है तथा अंदर लैगून पाया जाता है।
14. जीवमंडल: पादप व जीव जहाँ एक साथ निवास करते है और पारस्परिक क्रियाकलाप सम्पादित करते है।
15. ज्वालामुखी कुंड: ज्वालामुखी विवर (क्रेटर)के बड़े आकर को ज्वालामुखी कुंड कहा जाता है। इसका निर्माण पर्वतों के चोटियों के ज्वालामुखी उदगार के बाद होता है। जैसे:-यू एस ए के ओरेगन राज्य का क्रेटर झील व इंडोनेशिया का तोबा झील।
दुनिया भर में वन्य जीवों के क्षेत्रीय वितरण की सूची
16. मानारेख: मानचित्र का चित्रात्मक निरूपण जिसमें वर्तमान आकड़ों का उपयोग किया हो।सामान्य मानारेख में विश्व के देश, उनके आकर व जनसंख्या वितरण दर्शाया जाता है।
17. मानचित्र कला: मानचित्र निर्माण की वह कला या विज्ञान जिसमें सटीक रूप से चीजों का प्रदर्शन किया जाता है।
18. जनगणना: एक निर्धारित समय सीमा के अंदर कुल जनसंख्या का आंकड़ा उपस्थित करना या किसी निश्चित समय पर किसी निर्धारित भौगोलिक प्रदेश में व्यक्तियों की सरकारी गणना।
19. महाद्वीपीय प्रवाह: प्रवाह सिद्धांत के अनुसार महाद्वीपों का वर्तमान स्थिति विशाल भूखंडों के प्रवाह के परिणामस्वरूप प्राप्त हुआ है।इस सिद्धांत के प्रतिपादक टेलर है।
20. महाद्वीपीय मग्नतट: महाद्वीपों के किनारे का वह भाग जिस पर सागर का अतिक्रमण हुआ हो।सागरीय जल के पीछे हटने पर ये दृष्टिगोचर हो जाते है।
21. जननांकिकी: जनसंख्या का सांख्यिकी अध्ययन जिसमे जन्म,मृत्यु आदि को सम्मिलित किया जाता है।
22. घनत्व: प्रति इकाई क्षेत्र पर किसी चीज की मात्रा या उसकी गहनता की माप ।जनसंख्या घनत्व व फसल घनत्व इसका उदाहरण है।
23. मरुस्थल: वैसा क्षेत्र जहाँ वर्षा की मात्रा न्यूनतम होती है।नमी के आभाव में वनस्पति का विकाश नहीं होता है।केवल छोटे-छोटे घास व झाड़ियाँ ही होती है।
24. पारिस्थिकी: जीव व पर्यावरण के बीच के अंतरसंबंध को पारिस्थिकी कहा जाता है।
25. एलनिनो दक्षिणी दोलन: सागरीय जल की कालावधि जिसमें पूर्वी प्रशांत महासागर प्रभावित होता है तथा सम्पूर्ण विश्व के मौसम को प्रभावित करता है।
26. अधिकेंद्र: धरातल का वह क्षेत्र जहाँ भूकंपीय तरंगे पहली बार धक्का देती है अघिकेंद्र कहलाता है।
27. विषुवत रेखा: वह काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती है उतरी व दक्षिणी गोलार्द्ध में,विषुवत रेखा कहलाती है।इसका मान शून्य डिग्री होता है।
28. विषुब: जब सूर्य की स्थिति विषुवत रेखा के लम्बवत होती है तो पुरे विश्व में दिन व रात बराबर होती है।एक वर्ष में दो विषुब 21मार्च व 23 सितंबर होता है।
29. अपरदन: धरातल पर लगने वाला बहिर्जात बल जिससे कटाव का काम होता है।इसके करक हिमानी, जल,वायु आदि।
30. एश्च्युरि: किसी नदी का समुद्र के साथ विशाल मिलान जहाँ खरा ज्वारीय पानी नदी मीठे जल से मिश्रीत होता है।
31. भ्रंश: भूखंडों में गति व स्थानांतरण के कारण चट्टानों में जो दरार हो जाता है भ्रंश कहलाता है।
32. भवैज्ञानिक काल: पृथ्वी के जन्म(4.6 बिलियन वर्ष)से वर्तमान तक का कैलेण्डर।यह महाकल्प,युग व काल में विभाजित है।
33. भूविज्ञान: इसके अंतर्गत पृथ्वी के क्रस्ट,संस्तर व चट्टानों आदि का अध्यन किया जाता है।
34. हिमानी: बर्फ की वह बड़ी राशि जो स्थल पर प्रवाहित होती है तथा सतह का अपरदन व परिवहन का काम करती है।
35. ग्लोबल पोजिसनिंग सिस्टम: उपग्रह की वह प्रणाली जो धरातल की किसी स्थान की सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है।
36. वैश्विकतापन: वायुमंडल में तापमान वृद्धि को वैश्विकतापन कहा जाता है। इसके वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्र में निरंतर वृद्धि है।
37. ग्लोब: ग्लोब, पृथ्वी का नमूना है जिसपर विश्व का मानचित्र अंकित होता है। इसे पार्थिव ग्लोब भी कहा जाता है।
38. हरितगृह प्रभाव: वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड बहिर्गामी पार्थिव विकिरण को पुनः धरातल पर वापस कर देती जिससे वातावरण गर्म हो जाता है इस घटना को हरितगृह प्रभाव कहा जाता है।
39. गोलार्द्ध : काल्पनिक रूप से पृथ्वी को चार भागों में बांटा गया है।उत्तरी व दक्षणि गोलार्द्ध को विषुवत रेखा तथा पूर्वी व पश्चमी गोलार्द्ध को प्रधान मध्यान रेखा बांटती है।
40. आद्रता: वातावरण में मौजूद जलवाष्प की मात्रा को आद्रता कहते है।
दुनिया भर में बोली जाने वाली भाषा परिवारों की सूची
41. हरिकेन: उष्णकटिबंधीय तूफान जो 74 मील प्रति घंटा (119 किलोमीटर/घंटा) से चलता हो, जिसे प्रशांत महासागर में हरिकेन,हिंद महासागर में टाइफून व चक्रवात कहा जाता है।
42. जलचक्र: जलीय परिसंचरण द्वारा निर्मित एक चक्र जो जल सागर से वायुमंडल,भूमि और फिर पुनः सागर में पहुँच जाता है जलचक्र कहलाता है।
43. अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा: पृथ्वी पर 180 डिग्री खिंची वह काल्पनिक रेखा जिसके पूरब या पश्चिम जाने पर दिन में वृद्धि या कमी होती है।
44. जेटस्ट्रीम: क्षोभसीमा में तेज गति से चलने वाली वायु जिसकी दिशा पश्चिम से पूर्व होती है जेटस्ट्रीम कहलाता है।
45. ला नीना: प्रशांत महासागर में जल को ठंडा होने का क्रम जिससे पुरे विश्व का मौसम प्रतिरूप प्रभावित होता है।
46. लैगून : छोटा व छिछला जलराशि क्षेत्र जो प्रवाल व द्वीप के बीच स्थित होता है या वह छोटा जलक्षेत्र जो चरों ओर एटॉल से घिरा हो।
47. अक्षांस: विषुवत रेखा को आधार मानकर खिंची गई कोणात्मक रेखा जो शून्य डिग्री के सामानांतर होता है।जिसमे दोनों ध्रुब का मान 90 डिग्री होता है।
48. लावा: ज्वालामुखी उद्गार के समय जो पृथ्वी के अंदर से तरल पदार्थ निकलता है उसे लावा कहते है।
49. लोकभाषा: विविध भाषा की आपसी बोल-चाल की मिश्रीत भाषा या आपस में एक दूसरे को समझने की प्रणाली।
50. स्थलमंडल: मृदा और चट्टान का सम्मिलित रूप स्थलमंडल कहलाता है।
51. देशान्तर: प्रधान मध्यान रेखा से कोणात्मक दूरी पर खिंची गई रेखा जो दोनों ध्रुवों से होकर गुजरती है।
52. मैग्मा: पृथ्वी के गहराई में अत्यधिक ताप के कारण चट्टान पिघल जाती है जो ज्वालामुखी उद्गार के दरम्यान बहार आता है। बहार आने पर लावा व अंदर मैग्मा कहलाता है।
53. मानचित्र: पृथ्वी के सतह का ग्राफीय प्रस्तुतिकरण मानचित्र कहलाता है।
54. मानचित्र प्रक्षेप: गणितीय विधि से धरातल के वक्र स्थान को मानचित्र पर समतल कर प्रस्तुत करना।
55. मानचित्र मापनी: धरातल पर किन्हीं दो स्थानों की बीच की दूरी को मानचित्र पर उन्हीं स्थानों की बीच की दूरी को प्रदर्शित करना।
56. बृहद नगर: एक बृहद नगरीय क्षेत्र जिसका उद्भव बाहरी विस्तार अनेक नगरों के भौतिक रूप से परस्पर मिल जाने के फलस्वरूप होता है। मेगालोपोलिस को एक विशाल सन्नगर भी कहा जाता है।
57. याम्योत्तर रेखा: देशान्तर रेखा को याम्योत्तर रेखा कहा जाता है।
58. मेसा: बृहद आकर का समतल ऊँचा चबूतरा जिसका किनारा तीव्र ढाल वाला हो कालांतर में कटाव द्वारा बुटी में बदल जाता है।
59. मौसम विज्ञान: वायुमंडल का वैज्ञानिक अध्ययन मौसम विज्ञान कहलाता है।
60. मॉनसून: पवन का वह प्रतिरूप जो दक्षिण-पूर्व एशिया में मौसमिक परिवर्तन लाता है।यह नम व शुष्क मौसम के लिए जिम्मेदार होता है।
61. आकारिकी: किसी प्रदेश के भूआकृतिक तथ्यों के बहरी स्वरूप का आकृति व आकर का वैज्ञानिक अध्ययन।
62. पैंजिया: कार्बोनिफेरस कालीन विशाल महाद्वीप जिससे वर्त्तमान महाद्वीप निर्मित है। पैंजिया नाम जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर ने दिया ।
63. स्थायी तुषार भूमि: मृदा में स्थायी रूप से पानी का तुषार के रूप में सम्मिलित रहना।
64. भौतिक भूगोल: भौतिक की वह शाखा जो पृथ्वी की प्राकृतिक विशेषताओं का अध्ययन करता है।
65. प्लेट विवर्तनीकी: हमारी पृथ्वी कई बड़े प्लेटों से मिलकर बना है जो कि धीमे गति से ग्रहों से परिक्रमा कर रहा है।प्लेटों का मिलना व अलग होना कई घटनाओं को जन्म देता है जैसे-भूकंप,ज्वालामुखी, पर्वत निर्माण आदि।
66. वर्षण: जल के विविध रूपों में वायुमंडल से धरातल पर गिरना।जैसे-वर्षा,हिम, तुषार,सहिम वृष्टि आदि।
67. प्रथम नगर/प्रमुख नगर: किसी प्रदेश का बृहतम नगर जो सामान्यतः आर्थिक,सामजिक,सांस्कृतिक,राजनीतिक व व्यापारिक क्रियाओं का केंद्र होता है।
68. स्थलसंधि: दो विशाल भूखंड को जोड़ने वाला संकीर्ण स्थल मार्ग जो दो सागरों को अलग करता है स्थलसंधि कहलाता है।विश्व के दो प्रमुख स्थलसंधि पनामा जो उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका को जोड़ता है।तथा स्वेज स्थलसंधि जो एशिया व अफ्रीका को जोड़ता है।
भारतीय वन्यजीवों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण सम्मेलन के समझौते के तहत विश्व वन्य कोष (WWF) की मदद से 1973 में बाघ परियोजना की शुरूआत भारत में की गयी। भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार 1973-74 के दौरान भारत में केवल 9 बाघ आरक्षित क्षेत्र थे, जबकि जनवरी 2013 तक बाघ आरक्षित क्षेत्रों की संख्या बढ़कर 41 हो गयी है।
1. पश्चिम बंगाल में सुंदरवन क्षेत्र, रॉयल बंगाल बाघों के लिए प्रसिद्ध है।
2. अफ्रीका के अलावा केवल भारत में शेर प्राकृतिक रूप से पाये जाते है। भारत में इनकी केवल एक प्राकृतिक निवास स्थान गिर वन (सौराष्ट्र) गुजरात में है। 1972 में इनकी सुरक्षा के लिए, गिर शेर परियोजना की शुरूआत की गयी ।
3. 1975 में मगरमच्छ परियोजना की शुरूआत की गयी। इनके संरक्षण और सुरक्षित प्रजनन को प्रोत्साहित करने के लिए कई स्थानों पर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उसमे टिकरापारा (ओडिशा), महानदी (ओडिशा), कुकरैल (लखनऊ) आदि प्रमुख हैं। राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य (मध्य प्रदेश) मगरमच्छो की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। घड़ियाल और एलीगेटर दोनों मगरमच्छ की प्रजाति से सम्बंधित हैं, फिर भी उन दोनों के बीच कुछ भिन्नता होती हैं।
4. एक सींग वाला गैंडा केवल भारत में पाया जाता है। इनके संरक्षण के लिए गैंडा परियोजना की शुरूआत 1987 में की गयी। एक सींग वाले गैंडे को काजीरंगा (असम) में संरक्षित किया गया है । इसके अलावा, यह मानस (असम) और जोलड़ापारा (पश्चिम बंगाल) के दलदली भूमि में भी पाया जाता है।
5. हाथी भूमध्यरेखीय एवं उप-उष्णकटिबंधीय जंगल के जीव हैं। भारत में यह असम, केरल और कर्नाटक के जंगलों में पाये जाते हैं जहां भारी बारिश और उच्च तापमान होता है। भारत में हाथी की संख्या में वृद्धि करने के लिए 'हाथी परियोजना ' की शुरूआत 1992 में शुरू की गयी। असम में देहिंग पटकाई और काजीरंगा के राष्ट्रीय उद्यान, केरल में पेरियार और कर्नाटक में मैसूर और भद्रा के वन क्षेत्र हाथियों के महत्वपूर्ण निवास स्थल हैं।
6. जम्मू-कश्मीर में स्थित दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान, हंगुल (कश्मीरी टैग) के लिए प्रसिद्ध है।
7. महान हिंदुस्तानी बस्टर्ड, जैसलमेर (राजस्थान) और मालवा में पाया जाता है। वर्तमान में यह एक लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है।
8. कच्छ के रण में फ्लेमिंगो घोंसला बनाकर अंडे देता है।
9. कच्छ के रण जंगली गधों का एक प्राकृतिक निवास स्थान है।
10. जैसलमेर के डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान में शुतुरमुर्ग पाए जाते हैं।
11. हिमालय के उच्च क्षेत्रों में हिम तेंदुआ और पांडा पाया जाता हैं।
12. जंगली भेड़, साकिन (लंबी सींग वाली जंगली बकरी), टपीर, पहाड़ी बकरी आदि हिमालय क्षेत्र की मुख्य जानवर हैं।
13. सर्दियों में साइबेरियन क्रेन के लिए प्रवासी जगह के रूप में केवलादेव (घाना) में स्थित पक्षी अभ्यारण्य प्रसिद्ध है। यह भारत का सबसे बड़ा पक्षी अभ्यारण्य है।
14. नंदन कानन जूलॉजिकल उद्यान (भुवनेश्वर, ओडिशा) में स्थित सफ़ेद बाघ के लिए प्रसिद्ध है।
15. भारत का सबसे बड़ा चिड़ियाघर अलीपुर, कोलकाता में है।
16. गंगेटिक डॉल्फिन, गंगा नदी में पाया जाता है| लेकिन अब ये प्रजाति प्रदूषण की वजह से विलुप्त होने के कगार पर है|
भारत में प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यो की सूची
भारत में खनिज सम्पदा का विशाल भंडार है क्योंकि इसकी भूगर्भिक संरचना में प्राचीन दृढ़ भूखण्डों का बड़ा योगदान है, इसलिए यहाँ लगभग सभी प्रकार के खनिज मिलते हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) के अनुसार भारत में खनिज सम्पदा वाले 50 क्षेत्र हैं और उन क्षेत्रों में लगभग 400 स्थलों पर खनिज मिलते हैं । भारत में लौह-अयस्क का बहुत विशाल भंडार है। भारत लोहा के अलावे मैंगनीज, क्रोमाईट, टाइटेनियम, मैग्नासाईट, केनाईट, सिलिमनाईट, परमाणु-खजिनों अभ्रक और बाक्साइट के मामले में न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि इनका बड़ी मात्रा में निर्यात भी करता है। इस लेख में हम भारत में प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यो की सूची दे रहे हैं जिसका प्रयोग विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अध्ययन सामग्री के रूप में किया जा सकता है।
भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्रों की सूची
भारत में प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यो की सूची
खनिज / धातु |
राज्य |
कोयला |
झारखंड |
बॉक्साइट (अल्युमीनियम अयस्क) |
ओडिशा |
क्रोमाइट (क्रोमियम अयस्क) |
ओडिशा |
कच्चा लोहा |
ओडिशा |
मैंगनीज |
ओडिशा |
लीड एंड जिंक |
राजस्थान |
कैल्साइट (संगमरमर के स्रोत) |
राजस्थान |
जिप्सम, पेरिस का प्लास्टर |
राजस्थान |
क्वार्ट्ज |
राजस्थान |
अदह |
आंध्र प्रदेश |
चूना पत्थर |
आंध्र प्रदेश |
अभ्रक |
आंध्र प्रदेश |
बरीटेस |
आंध्र प्रदेश |
हीरा |
मध्य प्रदेश |
तांबा अयस्क |
मध्य प्रदेश |
सोना |
कर्नाटक |
कोरन्डम (रूबी, नीलमणि का स्रोत) |
महाराष्ट्र |
सेंधा नमक |
हिमाचल प्रदेश |
कच्चा तेल |
राजस्थान |
प्राकृतिक गैस |
असम |
उपरोक्त सूची में भारत के प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यो के नाम दिये गए हैं जिसका प्रयोग विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अध्ययन सामग्री के रूप में किया जा सकता है।
भारतीय में वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय पार्क
भारतीय उप-महाद्वीप न केवल अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है बल्कि यहाँ पर वनस्पतियों और जीवों की विविध प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं| इसलिए भारत में वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों का निर्माण लुप्तप्राय पक्षियों और जानवरों के संरक्षण के लिए बड़ी संख्या में किया गया है, ताकि इन पक्षियों और जानवरों के विलोपन को रोका जा सके|
वन्यजीव अभयारण्य में मानव गतिविधियों की अनुमति दे दी जाती है जबकि एक राष्ट्रीय पार्क में ये पूरी तरह से प्रतिबंधित रहती हैं । एक अभयारण्य में शिकारअनुमति के बिना निषिद्ध है; हालांकि चराई और मवेशियों की आवाजाही की अनुमति है। जबकि एक राष्ट्रीय उद्यान में शिकार और चराई पूरी तरह से निषिद्ध हैं ।
भारत में वन्यजीव अभयारण्य निम्न स्थानों पर हैं:-
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह |
ग्रेट निकोबार |
आंध्र प्रदेश |
नागार्जुन सागर श्रीशैलम |
एटुरनगरं |
|
कोल्लेरू |
|
पुलिकट |
|
अरुणाचल प्रदेश |
पाखुई-बामेरी |
असम |
गरमपनी |
बिहार |
गौतम बुद्ध (गया ) |
हिमाचल प्रदेश |
गोविंद सागर |
शिकारी देवी ( मंडी ) |
|
झारखंड |
पलामू |
हजारीबाग |
|
कर्नाटक |
भद्रा |
दांदेली |
|
रंगनाथिट्टू |
|
केरल |
वेणाड |
नैयर |
|
मध्य प्रदेश |
बोरी - सतपुड़ा |
पंचमढ़ी |
|
राष्ट्रीय चंबल |
|
गोवा |
भगवान महावीर |
महाराष्ट्र |
कन्हेरी |
मेलघाट |
|
मिजोरम |
डम्पा |
ओडिशा |
सतकसिया |
नंदन कानन ( भुवनेश्वर ) |
|
चंदक |
|
चिल्का झील |
|
पंजाब |
अबोहर |
राजस्थान |
माउंट आबू |
ताल छ्प्पर |
|
तमिलनाडु |
वेदंथंगल |
प्वाइंट केलिमियर |
|
मुंडनथुराई |
|
उत्तर प्रदेश |
चंद्रप्रभा (वाराणसी) |
पश्चिम बंगाल |
महानदी |
जोल्दापरा |
|
सजनाखाली |
भारत में राष्ट्रीय उद्यान
अंडमान और निकोबार आईलैंड्स |
कैम्पबेल |
गलाथिया |
|
महात्मा गांधी मरीन |
|
मध्य बटन द्वीप |
|
माउंट हेरिएट |
|
उत्तर बटन द्वीप |
|
रानी झांसी मरीन |
|
सैडल पीक |
|
दक्षिण बटन द्वीप |
|
आंध्र प्रदेश |
कासू ब्रह्मानंद रेड्डी |
महावीर हरिण वनस्थल |
|
मृगवनी |
|
श्री वेंकटेश्वरा |
|
अरुणाचल प्रदेश |
मॉलिंग |
नमदाफा |
|
असम |
डिब्रू-सैखोवा |
काजीरंगा |
|
मानस |
|
नामेरी |
|
ओरंग |
|
बिहार |
वाल्मीकि |
छत्तीसगढ़ |
इंद्रावती |
कंगेरघाटी |
|
संजय |
|
गोवा |
मोलन |
गुजरात |
बंस्दा |
गिर |
|
समुद्री (कच्छ की खाड़ी) |
|
काला हिरन |
|
हरियाणा |
सुल्तानपुर |
हिमाचल प्रदेश |
ग्रेट हिमालयन |
पिन घाटी |
|
जम्मू और कश्मीर |
शहर के वन (सलीम अली) |
दाचीगाम |
|
हेमिस |
|
किश्तवाड़ |
|
झारखंड |
बेतला |
कर्नाटक |
अंशी |
बांदीपुर |
|
बंनेर्घट्टा |
|
कुद्रेमुख |
|
नागरहोल |
|
केरल |
रावीकुलम |
पेरियार |
|
साइलेंट वैली |
|
मध्य प्रदेश |
बांधवगढ |
जीवाश्म |
|
कान्हा |
|
माधव |
|
पन्ना |
|
पेंच (प्रियदर्शिनी) |
|
संजय |
|
सतपुर |
|
वन विहार |
|
मणिपुर |
कैबुल-लामजाओ |
महाराष्ट्र |
गुगामल |
नवेगॉव |
|
पेंच |
|
संजय गांधी (बोरीविली ) |
|
तदोबा |
|
मेघालय |
बल्फाकरम |
नोकरेक रिज |
|
मिजोरम |
मुर्लेन |
फावंगपुई ब्लू माउंटेन |
|
नागालैंड |
इंटन्की |
ओडिशा |
भीतरकणिका |
सिमलीपाल |
|
राजस्थान |
रेगिस्तान |
केवलादेव घाना |
|
रणथंभौर |
|
सरिस्का |
|
सिक्किम |
कंचनजंगा (कंचनजंगा) |
तमिलनाडु |
गिंडी |
मन्नार की खाड़ी समुद्री |
|
इंदिरा गांधी (अन्नामलाई) |
|
मुदुमलाई |
|
मुकुर्थी |
|
उत्तराखंड |
कॉर्बेट |
गंगोत्री |
|
गोबिंद |
|
नंदा देवी |
|
राजाजी |
|
फूलों की घाटी (फूलों की घाटी) |
|
उत्तर प्रदेश |
दुधवा |
पश्चिम बंगाल |
बुक्सा |
गोरुमारा |
|
नेऔर घाटी |
|
सिंघलीला |
|
सुंदरबन |
भारत में महत्वपूर्ण पक्षी अभयारण्य:-
घाना पक्षी अभयारण्य ( केवलादेव ) |
भरतपुर (राजस्थान) |
रंगाथिटटु पक्षी विहार |
मैसूर (कर्नाटक) , |
नलपति पक्षी अभयारण्य |
नेल्लोर (आंध्र प्रदेश) |
डॉ सलीम अली पक्षी अभयारण्य |
चोराओ (गोवा) |
डॉ सलीम अली पक्षी अभयारण्य |
तहट्टेक्काड (केरल) |
कुमारकोम पक्षी अभयारण्य |
कोट्टायम (केरल) |
नल सरोवर पक्षी अभयारण्य |
साणंद (गुजरात) |
खिजड़िया पक्षी अभयारण्य |
जामनगर (गुजरात) |
बंकापुर मयूर अभयारण्य |
कर्नाटक |
चिंतामनि कर पक्षी अभयारण्य |
नरेंद्रपुर (24 परगना , पश्चिम बंगाल) |
कंवर पक्षी अभयारण्य |
बेगूसराय (बिहार) |
बखीरा पक्षी अभयारण्य |
खलीलाबाद (उत्तर प्रदेश) |
चिल्का पक्षी अभयारण्य |
ओडिशा |
भारत की महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय जल संधियों की सूची
अंतर्राष्ट्रीय जल संधि एक या एक से अधिक देशों के बीच नदी के जल के उपयोग तथा सहयोग और सूचना विनिमय के लिए तटस्थ विशेषज्ञ के मध्यस्थता में किया गया एक समझौते को कहते हैं। इस तरह के समझौते सदभावना पर आधारित होते है। यह नदी के पानी के उपयोग पर अधिकारों और दायित्वों को तय और सीमांकित करता है।
भारत की महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय जल संधियां
1. सिंधु जल संधि
(a) यह पानी के वितरण के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुई एक संधि है जिसको विश्व बैंक (तत्कालीन पुनर्निर्माण और विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय बैंक) के मध्यस्थता में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा पाकिस्तान के कराची शहर में 19 सितंबर, 1960 हस्ताक्षर किया गया था।
(b) इस सन्धि के अनुसार, तीन "पूर्वी" नदियों — ब्यास, रावी और सतलुज — का नियंत्रण भारत को, तथा तीन "पश्चिमी" नदियों — सिंधु, चिनाब और झेलम — का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया।
(c) संधि के कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए द्विपक्षीय एक स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) की स्थापना की गयी जो पानी के बंटवारे से उत्पन्न विवादों पर निष्पक्ष निर्णय दे।
2. भारत-बांग्लादेश संधि
(a) गंगा नदी के जल को साझा करने के लिए भारतीय प्रधान मंत्री एच.डी देवगौड़ा और बांग्लादेशी प्रधान मंत्री शेख हसीना वाजेद ने 12 दिसंबर 1996 को एक संधि पर हस्ताक्षर किया था जिसको भारत-बांग्लादेश जल संधि के नाम से जाना जाता है।
(b) इस के अनुसार कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए एक संयुक्त नदी आयोग (जेआरसी) का गठन किया गया।
भौगोलिक चिन्ह या संकेत (जीआई) क्या है और यह ट्रेडमार्क से कैसे अलग है?
3. भारत-नेपाल संधि
(a) यह संधि भारत और नेपाल के बीच फरवरी, 1996 हस्ताक्षर किया गया था जिसको महाकाली संधि नाम से भी जाना जाता है।
(b) महाकाली नदी पर पंचेश्वर बहुउद्देश्यीय परियोजना इस संधि का केंद्रस्थ है।
4. भारत-चीन सहयोग
ब्रह्मपुत्र नदी पर वर्षा, जल स्तर जैसे जल विज्ञान संबंधी जानकारी साझा करने के लिए भारत और चीन के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है।
5. भारत-भूटान सहयोग
भारत और भूटान दोनों ही देशों में बहने वाली उभयनिष्ठ नदियां और उन पर पूर्वानुमानित नेटवर्क के लिए योजना की प्रगति की समीक्षा करने के लिए 1979 में एक संयुक्त विशेषज्ञ दल (जॉइंट एक्सपर्ट टीम- जेईटी) का गठन किया गया गया था।
उपरोक्त संधियों में सिंधु जल संधि विश्व की सबसे उदार जल संधियों में से एक है क्यूंकि यह संधि भारत-पाकिस्तान के तीन युद्धों और द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर तनाव होने के बावजूद आज भी वैसे ही पालन किया जा रहा जिस तरह से पहले किया जाता था।
भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची
परिवहन के रूप में सड़क देश के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढ़ाचा है। भारत में 52.32 लाख किलोमीटर से बड़ा सड़क नेटवर्क है। राजमार्ग (सड़क) को प्रबंधन के आधार पर भारत में राजमार्ग को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: राष्ट्रीय राजमार्ग; राज्य राजमार्ग; और सीमा सड़कें। इस लेख में हम भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची दे रहे हैं जिसका प्रयोग विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अध्ययन सामग्री के रूप में किया जा सकता है।
भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) |
मार्ग |
राष्ट्रीय राजमार्ग 1 (NH -1) |
दिल्ली से अमृतसर (अंबाला और जालंधर के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 1A (NH-1 A) |
जालंधर से पुरी (माधोपुर, जम्मू, श्रीनगर और बारामुल्ला के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (NH-2) |
दिल्ली से कोलकाता (मथुरा और वाराणसी के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 3 (NH-3) |
आगरा से मुंबई (ग्वालियर, इंदौर और नासिक के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 4 (NH-4) |
ठाणे (मुंबई) से चेन्नई (पुणे, बेलगाम, हुबली, बैंगलोर और रानीपेट के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 5 (NH- 5) |
बेरागोडा (कोलकाता के नजदीक) से चेन्नई (कटक, विशाखापट्नम और विजयवाड़ा के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 6 (NH-6) |
हज़िरा से कोलकाता (नागपुर, रायपुर और संबलपुर, धुले के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (NH-7) |
वाराणसी से कन्याकुमारी (नागपुर, बैंगलोर और मदुरई के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 8 (NH-8) |
दिल्ली से मुंबई (जयपुर, अहमदाबाद और वडोदरा के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 9 (NH-9) |
पुणे से मछलीलीपट्टनम (शोलापुर और हैदराबाद, विजयवाड़ा के रास्ते) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 10 (NH-10) |
भारत-पाक सीमा पर चलने वाली फ़जिलका से दिल्ली |
राष्ट्रीय राजमार्ग 14 (NH-14) |
रावणपुर से बीवर (सिरोही) |
राष्ट्रीय राजमार्ग 15 (NH-15) |
पठानकोट से कांडला (थार रेगिस्तान के पास) |
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-24) |
दिल्ली से लखनऊ |
राष्ट्रीय राजमार्ग 39 (NH-39) |
नुमालीगढ़ से भारत-म्यानमार सीमा |
हवाई जहाज के बारे में 10 अनजाने तथ्य
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई)
राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रख-रखाव और प्रबंधन के लिए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण संसद के एक अधिनियम, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988 द्वारा गठित किया गया था।
भारतीय राजमार्गों का नामांकरण कैसे की गयी है
1. सभी नॉर्थ-साउथ राजमार्ग सम संख्या होती है।
2. सभी पूर्व-पश्चिम राजमार्ग विषम संख्या में होती है।
3. सभी प्रमुख राजमार्ग संख्या में एक अंक या दोहरे अंक में होते हैं
4. उत्तर-दक्षिण राजमार्गों की संख्या पूर्व से पश्चिम तक बढ़ते क्रम में होती है- उदाहरण के लिए, मध्य भारत या पश्चिमी भारत में एक विशेष उत्तर-दक्षिण राजमार्ग पूर्व भारत में एक की तुलना में अधिक होगी।
भारत में रेलवे उत्पादन इकाइयों की सूची
5. तीन अंकीय क्रमांकित राजमार्ग एक मुख्य राजमार्ग के माध्यमिक मार्ग या शाखाएं होती हैं। उदाहरण के लिए, 144, 244, 344 आदि मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग 44 की शाखाएं हैं।
6. प्रत्यय ए, बी, सी, डी आदि लगी तीन अंकीय क्रमांकित राजमार्गों से पता चलता है की प्रत्यय वाले राजमार्गों उप-राजमार्गों का विस्तार है।
उपरोक्त सूची पाठकों के सामान्य ज्ञान की बढ़ोतरी में सहायक होगा क्योंकि इसमें हमने भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों के नाम और वो कौन-कौन से मार्ग से जाते हैं जैसे तथ्यों को शामिल किया है।
भारत के प्रमुख जल विद्युत् केन्द्रों की सूची
ऊर्जा आर्थिक विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक आवश्यक इनपुट हैl भारत दुनिया में पनबिजली का सातवां सबसे बड़ा उत्पादक देश हैl भारत में बिजली के विकास की शुरूआत 19वीं सदी के उत्तरार्ध में हुई थी जब 1897 में दार्जिलिंग में विद्युत आपूर्ति की शुरूआत हुई थीl इसके बाद 1902 में कर्नाटक के शिवसमुद्रम में एक जल विद्युत केन्द्र की स्थापना की गई थीl यहां हम भारत में स्थित जल विद्युत् केन्द्रों की सूची दे रहे हैं जो पाठकों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने में काफी मददगार होगा.
1. टिहरी बांध
संचालक: टी.एच.डी.सी लिमिटेड, उत्तराखंड
स्थान: उत्तराखंड
2. कोयना जलविद्युत परियोजना
संचालक: महागेंको, महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड
स्थान: महाराष्ट्र
3. श्रीशैलम
संचालक: अपगेंको (APGENCO)
स्थान: आंध्र प्रदेश
4. नाथपा झाकीरी
संचालक: सतलुज जल विद्युत निगम
स्थान: हिमाचल प्रदेश
5. सरदार सरोवर बांध
संचालक: सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड
स्थान: नवग्राम, गुजरात
6. भाखड़ा नंगल बांध (गोविंद सागर)
संचालक: भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड
स्थान: सतलज नदी, बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
7. चमेरा I
संचालक: एन.एच.पी.सी लिमिटेड
स्थान: हिमाचल प्रदेश
8. शारावथी परियोजना
संचालक: कर्नाटक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
स्थान: कर्नाटक
9. इंदिरा सागर बांध
संचालक: नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण
स्थान: मध्य प्रदेश
10. कर्कम वांग्टा पनबिजली संयंत्र
संचालक: जेपी समूह
स्थान: हिमाचल प्रदेश
11. देहरा (पांडोह) पावर प्रोजेक्ट
संचालक: भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड
स्थान: हिमाचल प्रदेश
12. नागार्जुन सागर बांध गुंटूर
संचालक: आंध्र प्रदेश पावर जनरेशन निगम लिमिटेड
स्थान: आंध्र प्रदेश
13. पुरुलिया पास
संचालक: पश्चिम बंगाल विद्युत वितरण कंपनी
स्थान: पश्चिम बंगाल
14. इडुक्की
संचालक: केरल राज्य विद्युत बोर्ड
स्थान: केरल
15. सलाल I & II
संचालक: एन.एच.पी.सी लिमिटेड
स्थान: जम्मू और कश्मीर
16. ऊपरी इंद्रवती
संचालक: ओडिशा हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन
स्थान: उड़ीसा
17. रंजीत सागर बांध
संचालक: पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड
स्थान: पंजाब
18. ओंकारेश्वर
संचालक: नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक विकास निगम
स्थान: मध्य प्रदेश
19. बेलीमेला बांध
संचालक: ओडिशा हाइड्रो पावर कॉर्पोरेशन
स्थान: उड़ीसा
20. तीस्ता बांध
संचालक: एन.एच.पी.सी लिमिटेड
स्थान: सिक्किम
भारत में प्राकृतिक वनस्पति
प्राकृतिक वनस्पति का मतलब है वह वनस्पति जो मनुष्य द्वारा विकसित नहीं की गयी है । यह मनुष्यों से मदद की जरूरत नहीं है और जो कुछ भी पोषक तत्व इन्हें चाहिए, प्राकृतिक वातावरण से ले लेते है। जमीन की ऊंचाई और वनस्पति की विशेषता के बीच एक करीबी रिश्ता है। ऊंचाई में परिवर्तन के साथ जलवायु परिवर्तन होता है और जिसके कारण प्राकृतिक वनस्पति का स्वरुप बदलता है। वनस्पति का विकास तापमान और नमी पर निर्भर करता है। यह मिट्टी की मोटाई और ढलान जैसे कारकों पर भी निर्भर करता है। इसे तीन विस्तृत श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: वन, घास स्थल और झाड़ियां।
उष्णदेशीय सदाबहार वन
इन्हें उष्णकटिबंधीय वर्षावन भी कहा जाता है और ये भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्रों में और कटिबंधों के करीब पाये जाते है। यह क्षेत्र गरम होते हैं और यहाँ साल भर भारी वर्षा होती है। इन जंगलों को सदाबहार कहा जाता है क्योंकि इनके पत्ते कभी नहीं झड़ते हैं। पक्की लकड़ी वाले पेड़ जैसे शीशम, आबनूस और महोगनी यहां काफी मात्रा में पाये जाते हैं। भारत में इनका वर्गीकरण इस प्रकार है - पूर्वोत्तर भारत, पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढलान, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
उष्णदेशीय पतझड़ी वन
ये वर्षाकालिक वन हैं जो भारत के काफी हिस्सों में पाये जाते हैं, जैसे कि पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलान पर, हिमालय के तराई क्षेत्र पर, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश। ये पेड़ पानी के संरक्षण के लिए शुष्क मौसम में अपने पत्ते गिरा देते हैं। साल, सागौन, नीम और शीशम पक्की लकड़ी वाले पेड़ हैं जो इन जंगलो में पाये जाते हैं। बाघ, शेर, हाथी, लंगूर और बंदर इन क्षेत्रों में पाये जाने वाले आम जानवर हैं।
उष्णदेशीय शुष्क पतझड़ी वन
यह वनस्पति उन क्षेत्रों में पायी जाती है जहां वार्षिक वर्षा 50 और 100 सेमी के बीच होती है। यह पूर्वी राजस्थान, उत्तरीगुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दक्षिण पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी घाट के बारिश वाले क्षेत्र में पाये जाते है।
रेगिस्तान और अर्द्ध शुष्क वनस्पति
इस तरह की वनस्पति 50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पायी जाती है। यहां पेड़ छोटी झाड़ियों के रूपों में होते हैं। आम तौर पर उनकी अधिकतम ऊंचाई 6 सेमी तक होती है। इन पेड़ों की जड़ें गहरी, मोटी और पत्तियां कांटेदार होती है। यह वनस्पति पश्चिमी राजस्थान, उत्तरी गुजरात और पश्चिमी घाट के बारिश वाले क्षेत्र में पायी जाती है।
सदाबहार वनस्पति
यह समुद्र-तट और निचले डेल्टा क्षेत्रों में पाया जाता है। इन क्षेत्रों में, उच्च धारा की वजह से खारा पानी फैलता है। यहाँ मिट्टी दलदली होती है। गंगा- ब्रह्मपुत्र डेल्टा, महानदी, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी आदि नदियों के डेल्टा क्षेत्र और पूर्वी और पश्चिमी तट के कुछ हिस्से इस वनस्पति के तहत आते है।
नम उप-उष्णदेशीय पर्वतीय वनस्पति
यह वनस्पति 1070-1500 मीटर की ऊंचाई पर प्रायद्वीपीय भारत में पाया जाता है। यह वनस्पति सदाबहार है। पेड़ों की लकड़ी लगभग नरम होती हैं। यह पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, नीलगिरी, कार्डामम हिल्स और अन्नामलाई की पहाडी जैसे क्षेत्रों में पाया जाती है।
नम शीतोष्ण पर्वतीय वनस्पति
यह वनस्पति 1500 मीटर की ऊंचाई पर पायी जाती है। यह ज्यादातर प्रायद्वीपीय भारत में पायी जाती है। इसके जंगल बहुत घने नहीं होते। वहाँ सतह पर झाड़ियां होती हैं। यह अन्नामलाई की पहाड़ियों, नीलगिरि और पालनी में पाया जाता है। इस जंगल के मुख्य पेड़ हैं - मैगनोलिया, युकलिप्टुस, और एल्म।
हिमालयी वनस्पति
ऊंचाई में भिन्नता के अनुसार कई तरह की प्रजातियां इन पहाड़ों में पायी जाती है। ऊंचाई में वृद्धि के साथ, तापमान में गिरावट आती है। 1500 मीटर से लेकर 2500 मीटर तक की ऊंचाई के बीच के पेड़ों का आकार शंकु की तरह होता है। चीड़, पाइनऔर देवदार महत्वपूर्ण शंकुधारी पेड़ हैं जो इन जंगलों में पाए जाते हैं।
******************************************************************
No comments:
Post a Comment